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‘मैं हूं चौकीदार’ व्यंग्य के माध्यम से राजनीतिक समझ पैदा करेगी: रामबहादुर राय

नई दिल्ली। प्रख्यात पत्रकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय का मानना है कि आजकल साहित्य में स्वस्थ व्यंग्य की विधा बिरले में ही दिखाई देती है। प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. चंद्रभानु शर्मा की कृति ‘मैं हूं चौकीदार’ का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि एक व्यंग्यकार कम शब्द में ही बहुत कुछ कह देता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सभागार में आयोजित एक समारोह में उन्होंने साहित्यकार डॉ. चंद्रभानु शर्मा के व्यंग्यों को उद्धृत करते हुए कहा कि जो लोग राजनीति को ठीक से नहीं समझते, वे भी डॉ. शर्मा की व्यंग्य रचना को पढ़कर राजनीति के तौर-तरीकों को ठीक से समझ सकते हैं। डॉ. शर्मा ने अपनी पुस्तक ‘मैं भी चौकीदार’ में वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में मोदी के प्रभाव और उनका विरोध, अवसरवादी गठजोड़, भ्रष्टाचार, दरबारी संस्कृति और अनुच्छेद 370, किसान आंदोलन से लेकर शाहीनबाग के धरने पर गहरी चोट की है।

रामबहादुर राय ने कहा कि ड़ॉ. शर्मा की व्यंग्य रचना हरिशंकर परसाई की तरह लोगों को घायल नहीं करती, बल्कि वह इतना दर्द देती है कि लोग उसे महसूस करें और सहलाएं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि ‘मैं हूं चौकीदार’ नामक इस पुस्तक को जरूर पढ़ें और हर परिवार एक अंक अपने यहां जरूर रखे। उन्होंने डॉ. शर्मा की विद्वता की सराहना करते हुए कहा कि कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने 35ए का भी जिक्र किया है, जो बताता है कि उन्हें विषय की पूरी समझ है। रामबहादुर राय ने डॉ. चंद्रभानु शर्मा की अन्य कृतियों का भी उल्लेख किया और आशा व्यक्त की कि वह 125 वर्ष की उम्र तक पुस्तकों की रचना करें ताकि नई पीढ़ी को ज्ञान के साथ-साथ हास्य परिहास का भी आनंद मिले।

लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि और सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि रचनाधर्मी लेखक अपने जीवन में धनोपार्जन की चिंता नहीं करता, इसलिए वह किसी के बारे में बिना किसी डर भय के लिख सकता है। उन्होंने ‘मैं हूं चौकीदार’ का संदर्भ प्रधानमंत्री मोदी से लेते हुए कहा कि उनके 23 साल से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में लगातार काम करते रहने के बाद भी वे एक पैसे के दागी नहीं हैं।

अपनी पुस्तक ‘मैं भी चौकीदार’ के बारे में डॉ. चंद्रभानु शर्मा ने कहा कि उन्हें इस साहित्य का इंतजार वैसे ही था जैसे कोई मां वर्षों बाद किसी बच्चे को जन्म देने के प्रति आतुर या कोई अधेड़ व्यक्ति शादी के प्रस्ताव के बाद की जिज्ञासा रखता है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने जो भी लिखा वह बिना किसी अपेक्षा और प्रतिक्रिया के लिखा। बीच-बीच में उन्हें सहयोगी के रूप में बहुत सारे लोगों ने उनका हौंसला आफजाई किया और कुछ ने उन्हें मार्गदर्शन भी दिया। उन्होंने मंच से सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

वरिष्ठ कवि नरेश शांडिल्य ने ‘मैं भी चौकीदार’ की प्रस्तावन प्रस्तुत की। सभा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और हिन्दुस्थान समाचार के संपादक जितेन्द्र तिवारी ने किया। दिल्ली पुलिस में एसएचओ सर्वेश शर्मा ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
साभार -हिस

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