लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीबी को वर्ष 2025 तक देश से समाप्त करने का संकल्प लिया है। इसी कड़ी में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उत्तर प्रदेश के संक्रामक रोगों को मात देने वाले तीन चैंपियन को नई दिल्ली बुलाकर उनसे वार्ता की।
सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबसे पहले लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र निवासी सीमा सिंह से मुलाकात की। उनसे पूछा कि फाइलेरिया की पहचान कैसे हुई? क्या कष्ट झेलने पड़े? कैसे बीमारी से पार पाईं? सरकार से क्या मदद मिली आदि। केंद्रीय मंत्री ने यह भी पूछा कि फाइलेरिया होने के बाद उन्हें क्या समस्या हुई तो सीमा ने बताया कि पैरों में इतनी सूजन आ गई थी कि चलना दुश्वार था। इसी कारण नौकरी भी छूट गई। दैनिक काम भी बड़ी मुश्किल से कर पाती थीं लेकिन जबसे स्वास्थ्य विभाग से रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) की ट्रेनिंग मिली है, तब से अपनी देखभाल अच्छे से कर पा रही हूं। मुझे सूजन में कमी आई है। दर्द और अटैक से राहत मिली है। सीमा के मुताबिक केंद्रीय मंत्री बातचीत में बहुत सहज थीं। उनसे बात करके आगे बेहतर करने की प्रेरणा मिली है।
इसी क्रम में स्मृति ईरानी ने देवरिया की कालाजार चैंपियन पिंकी चौहान से बात की। बनकटा क्षेत्र की रहने वाली पिंकी ने कालाजार को शिकस्त दी है। वह उत्तर प्रदेश-बिहार के उत्तरजीवी नेटवर्क की सक्रिय सदस्य हैं और 10,849 अन्य सदस्यों के साथ मिलकर कालाजार एवं फाइलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं। अकेले पिंकी 5000 से ज्यादा लोगों तक पहुंचकर समुदाय को सजग कर चुकी हैं। स्मृति ईरानी ने सीमा और पिंकी से नेटवर्क के उद्देश्य के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह नेटवर्क स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर फाइलेरिया और कालाजार के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और समुदाय स्तर पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करता है।
स्मृति ईरानी ने गाजियाबाद के टीबी चैंपियन राजकुमार से भी वार्ता की। केंद्रीय मंत्री क्षय रोग के दौरान होने वाले सामाजिक भेदभाव को लेकर खास चिंतित दिखीं। मंत्री ने तीनों से खासतौर पर सरकार से मिली मदद और आवास के बारे में पूछा। उन्हें सरकार की ओर से हरसंभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया। स्मृति ईरानी की बातचीत से तीनों चैंपियन के हौसले बुलंद हैं और वे आगे भी संक्रामक रोगों के संभावित रोगियों की मदद जारी रखने की मंशा रखते हैं।
साभार -हिस