नई दिल्ली। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर ले जाए जाएंगे भारत के नंदी। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट ने दिल्ली के कृष्ण-सुदामा गोरक्षा धाम गौशाला से गीर नस्ल के नंदी बैल की मांग की है ताकि वहां की स्थानीय गायों के साथ मेटिंग हो सके और भारत के गीर नस्ल की गायों का नेपाल में भी विस्तार हो सके। पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट बदले में गोदावरी नदी के सवा लाख शालिग्राम स्वरूप विष्णु भगवान के पत्थर कृष्ण-सुदामा गौशाला को भेंट स्वरूप देगा। गोपाष्टमी के बाद भारतीय नस्ल की गायों के विस्तार के लिए राधा-कृष्ण गौशाला से नंदी बैल विधिवत पूजन की बाद नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे।
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कृष्ण-सुदामा गोरक्षा धाम और राधा-कृष्ण मंदिर गौशाला के महंत संरक्षक राम मंगल जी महाराज ने बताया कि 135 साल पहले गौ सेवा के लिए शुरू हुई यात्रा निरंतर जारी है। 20 नवंबर को गोपाष्टमी के मौके पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस गौशाला में महाभारत काल की विलक्षण गाय की नस्ल दृष्टा भी मौजूद है। दृष्टा वो गाय है जो महाभारत के युद्ध के समय भगवान शिव के नयन बन कर कृष्ण के सारथी स्वरूप का दर्शन किया था। इसके अलावा 56-56 लाख की काली कपिला और स्वर्ण कपिला भी इस गौशाला में है। गौशाला में मृगनयनी जैसी अद्भुत गाय भी है, जिसकी सेवा करने के लिए कई लोग पहुंचते हैं। कपिला और मृगनयनी के बारे में विस्तार से बताते हुए महंत राम मंगल जी महाराज ने कहा कि कपिला गए सीता की स्वरूप मानी जाती हैं।
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महंत राम मंगल जी महाराज ने बताया कि यहां के गोबर और मूत्र डाबर ,बैदनाथ सहित कई दावा कंपनियां ले जाती है । महंत राम मंगल दास ने बताया कि हम सरकार से कोई सहायता नहीं लेते हैं उल्टा हम सरकार की मदद करते हैं जैसे यहां की ए1 , ए2 दूध और गौमूत्र दवा के लिए सरकार के माध्यम से विदेशों में जाते हैं। शोध बताते हैं की गौ सेवा से कई तरह की बीमारियां ठीक होती हैं। गाय पर हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी ठीक होती है, सेवा करने से डिप्रेशन नहीं होता है और है तो ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि नागपुर, मथुरा, कांचीपुरम में कई भारतीय मूल की गायों की क्या-क्या विशेषता है। इस पर शोध करने के लिए कई अनुसंधान केंद्र बने हुए हैं।