जयपुर, राजस्थान में बसपा ने शनिवार को दस उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। पार्टी ने अजमेर, भरतपुर, बूंदी समेत कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने 10 उम्मीदवारों को अजमेर, भरतपुर, कांमा, महुवा, टोडाभीम, सपोटरा, गंगापुर, नीमकाथाना, हिंडोन और बांदीकुई से चुनावी मैदान में उतारा है। इन्हें मिलाकर अब तक बसपा राजस्थान में 22 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने नौ अक्टूबर को ही तेलंगाना और राजस्थान में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने राजस्थान सहित अन्य राज्यों में अच्छे परिणाम की उम्मीद जताई थी। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की सूची को लेकर राजस्थान बसपा अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने बताया कि प्रदेश की कई सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का एलान किया जा चुका है। पार्टी एक विशेष लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। बीएसपी के इतने विधायक जीत कर आएं कि प्रदेश में किसी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले और फिर सत्ता की चाबी बीएसपी के हाथ में रहे, जिससे हमें प्रदेश में सरकार बनाने का मौका मिले। बसपा की शनिवार को जारी की गई सूची में भरतपुर से गिरीश चौधरी, आमेर से मुकेश शर्मा, कामां से शकील खान, महुवा से बनवारी मीणा, टोड़ाभीम से रामसिंह मीणा, सपोटरा से कल्लू उर्फ विजय, गंगापुर से रंगलाल मीणा, नीमकाथाना से गीता सैनी, हिंडौन से अमरसिंह बंशीवाल और बांदीकुई से उमेश शर्मा को टिकट दिया गया है।
राजस्थान विधानसभा के पिछले चुनाव में बसपा के छह विधायकों ने जीत हासिल की थी लेकिन परिणाम के बाद इन सभी को सीएम अशोक गहलोत ने अपने साथ कर लिया था। इससे प्रदेश में बसपा का आधार समाप्त हो गया था लेकिन अब 2023 के चुनाव में पार्टी फिर से अपने जनाधार वाले क्षेत्रों में प्रत्याशियों को उतार रही है। पूर्वी राजस्थान और शेखावाटी में बहुजन समाज पार्टी लगातार अपने प्रत्याशी घोषित कर रही है। राजस्थान में बसपा विधायकों को सीएम गहलोत और कांग्रेस के लिए हाथी मेरा साथी कहा जाता है, क्योंकि दो बार ऐसा हुआ है कि अशोक गहलोत ने राजस्थान में हाथी गायब कर दिया था। पिछली बार बसपा के टिकट पर जीतकर आए छह उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्र गुढ़ा, नदबई विधायक जोगेंद्र सिंह अवाना, नगर विधायक वाजिब अली, करौली विधायक लाखन सिंह मीणा, तिजारा विधायक संदीप यादव और किशनगढ़ बास विधायक दीपचंद खैरिया कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बसपा के पूरे विधायक दल के कांग्रेस में विलय से कांग्रेस विधायकों की संख्या 106 हो गई थी। इससे गहलोत सरकार बहुमत में आ गई। इससे पहले तक गहलोत सरकार को बसपा बाहर से समर्थन दे रही थी। पूर्व में 2009 में भी विधानसभा चुनाव के बाद बसपा के सभी छह विधायक कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत ने शामिल कर लिए थे।
बसपा से कांग्रेस में शामिल होने के दो साल बाद विधायक राजेंद्र गुढ़ा मंत्री बनाए गए थे जबकि अन्य विधायकों को भी बोर्ड और अन्य पदों पर सीएम गहलोत ने सेटल किया। राजेंद्र गुढ़ा सैनिक कल्याण, होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा विभाग के राज्यमंत्री बनाए गए थे। यह पद पिछले दिनों उनसे छीन लिया गया था। दीपचंद खैरिया को किसान आयोग उपाध्यक्ष और वाजिब अली को राजस्थान राज्य खाद्य आयोग अध्यक्ष बनाया गया। जोगेंद्र सिंह अवाना को देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष, संदीप यादव को राजस्थान सब रीजन (एनसीआर) इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बोर्ड (आरएसआरआईडीबी) अध्यक्ष, विधायक लाखन सिंह मीणा डांग क्षेत्रीय विकास बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए थे। इनके क्षेत्र में विकास के काम भी खूब काम करवाए गए लेकिन राजेंद्र गुढ़ा राज्य मंत्री बनाए जाने से नाराज ही रहे। वे सचिन पायलट के पाले में चले गए और विधानसभा के अंदर और बाहर लाल डायरी का मुद्दा उठा दिया और सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए, जो उन्हीं के लिए गलफांस बन गए। पार्टी और सरकार के खिलाफ बोलने पर राजेंद्र गुढ़ा का मंत्री पद छीनकर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद राजेंद्र गुढ़ा ने शिवसेना का दामन थाम लिया। उदयपुर वाटी में उनके समर्थकों ने शिवसेना पार्टी बड़ी संख्या में जॉइन कर ली।
साभार -हिस