-
बालिका के यौन शोषण के खिलाफ याची की अग्रिम जमानत अर्जी नामंजूर
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि जहां किसी आरोपित पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है तो पूर्व का प्रावधान बाद वाले पर लागू होगा और ऐसे आरोपित की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका सुनवाई योग्य है।
कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर पॉक्सो अधिनियम को प्रभावी बताया। इसी के साथ ही न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकलपीठ ने 14 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर लड़की से बलात्कार करने के आरोपित-याची शिक्षक दीपक प्रकाश सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
मामले में याची के खिलाफ जौनपुर के थाना जाफराबाद थाने में आईपीसी की धारा 354, 376, पॉक्सो की धारा 7/8 और एससी एसटी की धारा 3(2)(वीए) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी। मामले में याची अपनी गिरफ्तारी से बचाव के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता की ओर से आपत्ति उठाई गई। कहा गया कि एससी-एसटी एक्ट के तहत यह याचिका पोषणीय नहीं है। विचार किया गया कि जहा एसएसी-एसटी अधिनियम के तहत आरोपित को अग्रिम जमानत देने पर रोक लगाता है। वहीं पॉक्सो में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है।
कोर्ट ने पाया कि पॉक्सो की धारा 42ए के तहत गैर विवादित खंड है जो किसी भी असंगतता के मामले में पॉक्सो अधिनियम किसी भी अन्य कानून से अधिक प्रभावित होगा। कोर्ट ने इस मामले में पृथ्वी राज चौहान बनाम भारत संघ और अन्य और रिंकू बनाम यूपी राज्य के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां किसी आरोपित पर एससी एसटी अधिनियम और पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया है तो पॉक्सो अधिनियम के तहत विशेष अदालत के पास जमानत याचिका निस्तारित करने का अधिकार क्षेत्र होगा। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया गया जिससे शिक्षकों के प्रति लोगों का मन में डर का माहौल पैदा होगा। ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।