नई दिल्ली, प्राकृतिक आपदा की मार से बेहाल पूर्वोत्तर के राज्य सिक्किम में सेना ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के साथ बचाव कार्य शुरू कर दिया है। सेना के जवानों द्वारा फंसे हुए लोगों काे निकालने के साथ सेना के लापता जवानों को ढूंढ़ कर निकालने का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है।
सूचना है कि त्रि-शक्ति कोर के सैनिक उत्तरी सिक्किम में चुंगथांग, लाचुंग और लाचेन के क्षेत्रों में फंसे नागरिकों और पर्यटकों को चिकित्सा सहायता और टेलीफोन कनेक्टिविटी प्रदान कर रहे हैं। उत्तरी सिक्किम के गंभीर रूप से प्रभावित चुंगथांग और मंगन क्षेत्र में राज्य प्रशासन के समन्वय व सेना द्वारा 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया है। सिंगथम में 12 फुट मलबा जमा है, यहां से सात लोगों को निकालने में एनडीआरफ के जवानाें को काफी मशक्कत करनी पड़ी। लापता हुए एक सैनिक काे भी सेना द्वारा ढूंढ निकालने की सूचना है। व्यापक स्तर पर बचाव कार्य शुरू करने के लिए माैसम साफ होने का भी इंतजार है।
मंगलवार की मध्य रात्रि और बुधवार की सुबह बादल फटने के बाद इलाके में भीषण सैलाब से शुरू हुआ तब से अब तक तबाही का सिलसिला थमा नहीं है। गुरुवार सुबह तक हादसे में 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अभी भी 22 सैन्यकर्मियों सहित 100 से अधिक लोग लापता हैं। पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में अचानक आई बाढ़ से तबाही की स्थिति की समीक्षा करने को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) बैठक भी हुई।
मंगलवार मध्य रात्रि और बुधवार सुबह उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटा, जिसके बाद तीस्ता नदी में बड़े पैमाने पर सैलाब आ गया। इसके चलते तीस्ता नदी के किनारे बने घर, मकान और दूसरी इमारतें धराशायी हो गई। सैलाब में 14 पुल ध्वस्त हो गए। 41 गाड़ियां डूब चुकी हैं, सेना के कैम्प उखड़ चुके हैं। नदी किनारे बने अस्थायी कैंप में रह रहे सेना के 23 जवान भी सैलाब में बह गए, जिनमें से एक के ही मिलने की सूचना है। हादसे के बाद लापता हुए लोगों की सही सही संख्या का केवल अनुमान ही लगाया जा सका है। सड़कें और इमारतें ध्वस्त होने से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तीन हजार से अधिक पर्यटकों के फंसे होने का अनुमान है।
साभार -हिस