नई दिल्ली, भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत में गुरुवार सुबह एक नाविक का शव लटका मिला। नौसेना ने जांच के आदेश दिए हैं। (एलसीए) नेवी और मिग-29 के लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग के बाद आईएनएस विक्रांत पूरी तरह से ऑपरेशनल होने के इंतज़ार में है, इसलिए विमानवाहक पोत फिलहाल कोच्चि में खड़ा है।
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार सुबह एक नाविक को आईएनएस विक्रांत पर लटका हुआ पाया गया। यह 19 वर्षीय नाविक अग्निवीर नहीं, बल्कि नियमित कैडर से मुजफ्फरपुर, बिहार का रहने वाला था। उसका शव युद्धपोत के एक डिब्बे में लटका हुआ पाया गया, नौसेना ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। आईएनएस विक्रांत के डेक पर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) नेवी और मिग-29 के लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग के बाद पूरी तरह से ऑपरेशनल होने के इंतज़ार में है, इसलिए विमानवाहक पोत फिलहाल कोच्चि में खड़ा है।
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, 45,000 टन का विक्रांत कोचीन शिपयार्ड में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। केवल अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन के पास ही इस आकार के विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है। इसका नाम विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसे 1961 से 1997 तक नौसेना ने संचालित किया था। युद्धपोत विक्रांत 262 मीटर लंबा है, इसकी ऊंचाई 61 मीटर (कील टू मस्तूल) है। इसका फ्लाइट डेक 12,500 वर्ग मीटर (10 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के बराबर) है। इसकी क्षमता 7,500 समुद्री मील और अधिकतम गति 28 समुद्री मील है।
साभार -हिस