नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को डिजिटल प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पन्न अवसरों और चुनौतियों के बीच सही संतुलन बनाने में जी-20 देशों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकी को शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में एक शक्ति गुणक करार दिया।
प्रधानमंत्री शुक्रवार को पुणे में आयोजित जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी समानता स्थापित करने वाले एक तत्व के रूप में कार्य करती है और समावेशिता को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप ढलने की प्रक्रिया में एक शक्ति गुणक है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की क्षमताओं के बारे में भी चर्चा की जो सीखने, कौशल विकास और शिक्षा के क्षेत्र में काफी संभावनाएं प्रदान करती है। उन्होंने प्रौद्योगिकी द्वारा पैदा किए गए अवसरों और चुनौतियों के बीच सही संतुलन बनाने में जी-20 की भूमिका पर भी जोर दिया।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि मूलभूत साक्षरता युवाओं के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है और भारत इसे प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ रहा है। उन्होंने सरकार द्वारा ‘समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में निपुणता हेतु राष्ट्रीय पहल’ या ‘निपुण भारत’ पहल पर प्रकाश डाला और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि ‘मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता’ को जी-20 द्वारा भी एक प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने 2030 तक इस पर समयबद्ध तरीके से काम करने पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने नई ई-लर्निंग को रचनात्मक तरीके से अपनाने व उसका उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि इसका लक्ष्य बेहतर प्रशासन के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला और ‘स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स’ या ‘स्वयं’ का उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि ‘स्वयं’ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो कक्षा 9 से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के सभी पाठ्यक्रमों को संचालित करता है तथा पहुंच, समानता एवं गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित करते हुए छात्रों के लिए दूरदराज के इलाकों में बैठकर सीखना संभव बनाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हम कौशल मैपिंग का कार्य कर रहे हैं जहां शिक्षा, कौशल विकास और श्रम मंत्रालय इस पहल पर मिलकर काम कर रहे हैं। मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि जी-20 के देश वैश्विक स्तर पर कौशल मैपिंग का कार्य कर सकते हैं और उन कमियों का पता लगा सकते हैं जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है।
अनुसंधान और नवाचार पर दिए जाने वाले जोर पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत ने देश भर में दस हजार ‘अटल टिंकरिंग लैब्स’ स्थापित की हैं, जो हमारे स्कूली बच्चों के लिए अनुसंधान और नवाचार की एक नर्सरी के रूप में कार्य करती हैं। उन्होंने बताया कि इन प्रयोगशालाओं में 7.5 मिलियन से अधिक छात्र 1.2 मिलियन से अधिक नवीन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 के देश अपनी-अपनी क्षमताओं के साथ विशेष रूप से दक्षिणी दुनिया के देशों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों से अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए रास्ता तैयार करने का आग्रह किया।
बच्चों और युवाओं के भविष्य के लिए जी-20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस समूह ने सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हरित बदलाव, डिजिटल रूपांतरण और महिला सशक्तिकरण को गति देने वाले यंत्र के रूप में पहचाना है। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिक्षा इन सभी प्रयासों के मूल में है।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस बैठक का नतीजा एक समावेशी, कार्रवाई-उन्मुख और भविष्य के लिए तैयार शिक्षा के एजेंडे के रूप में होगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, “इस बैठक से वसुधैव कुटुंबकम- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य – की सच्ची भावना के अनुरूप पूरी दुनिया को लाभ होगा।”
साभार -हिस