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भारत का दौरा सिर्फ दर्शनीय स्थलों की यात्रा नहीं बल्कि एक व्यापक अनुभव : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यटन के लिए भारत के ‘अतिथि देवो भवः दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षों में देश में पर्यटन के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने पर विशेष जोर दिया गया है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का दौरा केवल दर्शनीय स्थलों के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक अनुभव है।

प्रधानमंत्री बुधवार को गोवा में आयोजित जी-20 पर्यटन मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए अपनी बात रख रहे थे। मोदी ने कहा, “परिवहन बुनियादी ढांचे से लेकर आतिथ्य क्षेत्र से लेकर कौशल विकास तक, और यहां तक कि हमारे वीजा सिस्टम में भी, हमने पर्यटन क्षेत्र को अपने सुधारों के केंद्र बिंदु के रूप में रखा है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक महिलाओं और युवाओं को रोजगार देते हुए आतिथ्य क्षेत्र में रोजगार सृजन, सामाजिक समावेश और आर्थिक प्रगति की काफी संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत सतत विकास लक्ष्यों की त्वरित उपलब्धि के लिए पर्यटन क्षेत्र की प्रासंगिकता को भी पहचान रहा है।

प्रधानमंत्री ने गोवा में आगामी साओ जोआओ महोत्सव पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत त्योहारों की भूमि है। अगले साल होने वाले आम चुनावों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यटन मंत्रियों से लोकतंत्र की जननी (भारत) में लोकतंत्र के त्योहार का गवाह बनने का आग्रह किया, जहां लगभग एक अरब मतदाता एक महीने से अधिक समय तक भाग लेंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों में अपने विश्वास की पुष्टि करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “दस लाख से अधिक मतदान केंद्रों के साथ, इस उत्सव को इसकी विविधता में देखने के लिए आपके लिए स्थानों की कोई कमी नहीं होगी।” उन्होंने लोकतंत्र के पर्व के दौरान भारत आने का निमंत्रण दिया।

प्रधानमंत्री ने अतुल्य भारत की भावना का आह्वान किया और पर्यटन मंत्रियों से अपनी गंभीर चर्चाओं से कुछ समय निकालने और प्राकृतिक सुंदरता और गोवा के आध्यात्मिक पक्ष का पता लगाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान पूरे देश में 100 विभिन्न स्थानों में लगभग 200 बैठकें आयोजित कर रहा है, जो हर अनुभव को दूसरे से अलग बनाता है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पर्यटन क्षेत्र में भारत के प्रयास पर्यटन के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हुए अपनी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने पर केंद्रित हैं। यह देखते हुए कि भारत दुनिया के हर प्रमुख धर्म के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, प्रधानमंत्री ने फोकस क्षेत्रों में से एक के रूप में आध्यात्मिक पर्यटन के विकास पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक, शाश्वत शहर वाराणसी में बुनियादी ढांचे के उन्नयन के कारण तीर्थयात्रियों की संख्या में दस गुना वृद्धि हुई है, जिससे आज यह संख्या 70 मिलियन हो गई है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत नए पर्यटक आकर्षण बना रहा है और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उदाहरण दिया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसने अपने उद्घाटन के एक साल के भीतर लगभग 2.7 मिलियन पर्यटकों को आकर्षित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आतंकवाद बांटता है लेकिन पर्यटन जोड़ता है।” उन्होंने कहा कि पर्यटन में सभी क्षेत्रों के लोगों को जोड़ने की क्षमता है जिससे एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण होता है। मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यूएनडब्ल्यूटीओ के साथ साझेदारी में एक जी20 पर्यटन डैशबोर्ड विकसित किया जा रहा है, जो अपनी तरह का पहला मंच होगा जो सर्वोत्तम प्रथाओं, केस स्टडी और प्रेरक कहानियों को एक साथ लाएगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विचार-विमर्श और ‘गोवा रोडमैप’ पर्यटन की परिवर्तनकारी शक्ति को साकार करने के सामूहिक प्रयासों को बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, “भारत की जी20 अध्यक्षता का आदर्श वाक्य, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ अपने आप में वैश्विक पर्यटन का आदर्श वाक्य हो सकता है।”
साभार -हिस

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