नई दिल्ली,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि एक कृषि मंत्री की जिम्मेदारियां केवल अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र को संभालने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि मानवता के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में विस्तारित है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए मंत्रियों से सामूहिक कार्रवाई करने के तरीकों पर चर्चा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी आज वीडियो संदेश के माध्यम से जी-20 कृषि मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए अपनी बात रख रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि मानव सभ्यता के केंद्र में है। उन्होंने उल्लेख किया कि एक कृषि मंत्री की जिम्मेदारियां केवल अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र को संभालने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि मानवता के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में विस्तारित हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि विश्व स्तर पर 2.5 अरब से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करती है। ग्लोबल साउथ में, कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देती है और 60 प्रतिशत से अधिक नौकरियां कृषि पर निर्भर हैं। आज ग्लोबल साउथ के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला में हुए व्यवधान, भू-राजनीतिक तनावों की वजह से और भी चिंताजनक हो गए हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाएं अधिक बार सामने आ रहीं हैं। इन चुनौतियों को ग्लोबल साउथ द्वारा सबसे अधिक महसूस किया जा रहा है।
मोदी ने कृषि मंत्रियों से वैश्विक खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया। उन्होंने एक स्थायी और समावेशी खाद्य प्रणाली बनाने के तरीके खोजने का सुझाव दिया जो सीमांत किसानों पर केंद्रित हो और वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करे। साथ ही, प्रधानमंत्री ने बेहतर मृदा स्वास्थ्य, फसल स्वास्थ्य और उपज के लिए कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों की पारंपरिक तौर-तरीके हमें पुनः-पोषित कृषि के विकल्प विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। उन्होंने नवाचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के साथ किसानों को सशक्त बनाने और वैश्विक दक्षिण में छोटे और सीमांत किसानों के लिए किफायती समाधान बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कचरे से संपत्ति निर्माण में निवेश करते हुए कृषि और खाद्य अपशिष्ट को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर भी बात की।
कृषि क्षेत्र में भारत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘मूल बातों की ओर वापस’ (बैक टू बेसिक्स) और ‘भविष्य की ओर’ (मार्च टू फ्यूचर) के फ्यूजन की भारत की नीति पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत प्राकृतिक खेती के साथ-साथ प्रौद्योगिकी आधारित खेती को भी बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “पूरे भारत के किसान अब प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि वे कृत्रिम उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। उनका ध्यान; धरती माता का कायाकल्प करने, मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने, ‘प्रति बूंद, अधिक फसल’ पैदा करने और जैविक उर्वरकों व कीट प्रबंधन समाधानों को बढ़ावा देने पर है। मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि यह ‘ मिश्रित दृष्टिकोण’ कृषि में कई मुद्दों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और आप हैदराबाद में अपनी भोजन की थाली में इसका प्रतिबिंब पाएंगे। मोदी ने बताया कि ये सुपरफूड न केवल उपभोग करने के लिए स्वस्थ हैं बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करते हैं क्योंकि फसल को कम पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है। मोटे अनाज के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी खेती हजारों वर्षों से की जाती रही है, लेकिन बाजारों और विपणन के प्रभाव के कारण पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली खाद्य फसलों का मूल्य खो गया। प्रधानमंत्री ने कहा, “आइए हम श्री अन्न मोटे अनाज को अपनी पसंद के भोजन के रूप में ग्रहण करें।” उन्होंने कहा कि भारत मिलेट्स में सर्वोत्तम तौर-तरीकों, अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मिलेट्स अनुसंधान संस्थान विकसित कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “कृषि में भारत की जी-20 प्राथमिकताएं, हमारे ‘एक पृथ्वी’ को स्वस्थ करने, हमारे ‘एक परिवार’ के भीतर सद्भाव पैदा करने और एक उज्ज्वल ‘एक भविष्य’ की आशा देने पर केंद्रित हैं।” उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि दो ठोस परिणामों पर काम चल रहा है – ‘खाद्य सुरक्षा और पोषण पर डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत’, और मोटे अनाज व अन्य अनाजों के लिए ‘महर्षि’ पहल। उन्होंने कहा कि इन दो पहलों के लिए समर्थन समावेशी, टिकाऊ और लचीली कृषि के समर्थन का वक्तव्य है।
साभार -हिस