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आगामी दिसंबर-जनवरी में होगी राममंदिर में मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठाः चंपत राय

बलिया, अयोध्या में बन रहा राममंदिर देश के सम्मान का प्रतीक है। राममंदिर का उद्घाटन कौन करेगा, यह अभी तय नहीं हुआ है। इस भव्य मंदिर में मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठा आगामी दिसंबर-जनवरी में मुहूर्त के अनुसार होगी। ये बातें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने बुधवार को कही। वे यहां विहिप के काशी एवं गोरक्ष प्रांत के 10 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग को संबोधित कर रहे थे।

चंपत राय ने कहा कि यह उस मंदिर का निर्माण है जिसे विदेशी आक्रांता ने हिंदुस्तान की सेनाओं को कमजोर समझ कर तोड़ दिया था। वर्ष 1528 में एक विदेशी आक्रांता आया था, जिसने मंदिर तोड़कर देश की आत्मा को आहत करने का काम किया था। उन्होंने कहा कि भगवान राम इस देश की आत्मा में बसते हैं। इसलिए इस मंदिर का निर्माण राष्ट्र के सम्मान का निर्माण है। यह कोई सामान्य मंदिर नहीं है।
कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन में अयोध्या लोगों से पट जाएगी। वहां तिल रखने की भी जगह नहीं होगी। दुनियाभर से लोग आएंगे, लेकिन विदेशी लोग सोच-समझ कर ही आएं। पाकिस्तान से भी हिंदू बुलाए जाएंगे। राममंदिर निर्माण के बाद काशी और मथुरा से जुड़े सवाल पर चंपत राय ने कहा कि हम जिम्मेदार संगठन हैं। एक काम पूरा कर लेने के बाद ही कोई अगला कदम उठाएंगे। वैसे समाज में सबको खुली छूट है।

विहिप उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर बहुत भव्य बन रहा है। तीन मंजिला है। 392 खम्भे हैं। लंबाई लगभग साढ़े तीन सौ फीट और चौड़ाई 250 फीट है। गर्भगृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट है। यह जमीन से लगभग 21 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाया जा रहा है। इसमें लोहा नहीं है। पत्थरों को जोड़ने के लिए ताम्बे का प्रयोग किया जा रहा है। यह ईंट और गारे का काम नहीं है। खम्बे, बीम एवं छत सब पत्थर के हैं। यह पत्थर हल्के गुलाबी रंग के हैं। गर्भगृह में राजस्थान के मकराना के सफेद रंग के पत्थर लगाए गए हैं।
वाल्मीकि रामायण से लिया गया है रामलला का बालस्वरूप

चंपत राय ने कहा कि रामलला के पांच वर्ष का स्वरूप वाल्मीकि रामायण में वर्णित घटनाओं से लिया गया है। भगवान राम विष्णु के अवतार थे। इसी आधार पर राम के पांच वर्ष की आयु के स्वरूप को बनाया जा रहा है। राम की मूर्ति के अलावा चारों ओर सूर्य देवता का मंदिर भी बनेगा। भगवती, गणपति और शंकर जी का भी मंदिर बनेगा। अन्नपूर्णा और हनुमानजी का भी मंदिर बन रहा है। यही नहीं महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषादराज, सबरी, अहिल्या एवं जटायु की भी प्रतिमाएं बनेंगी।
साभार -हिस

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