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सिंधिया परिवार के पूर्वजों ने मैनपुरी से रोहिला अफगानों को उखाड़ने का किया था काम
मैनपुरी, मैनपुरी की धरती पर आकर आज मैं बहुत भाव विभोर हूं। जहां एक तरफ भावुकता का वातावरण है वहीं आज का दिन गौरवशाली महसूस कर रहा हूं। यह बातें सिंधिया तिराहा पर स्व. माधवराव सिंधिया की मूर्ति का अनावरण के अवसर पर आयोेजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय नागर विमानन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कही।
उन्होंने आगे कहा कि मैनपुरी में उपस्थित होकर मेरा दिल और मेरा मन इतिहास के पन्नों पर रेखांकित होता है। इस मैनपुरी से मेरा 10 या 20 साल का सम्बंध नहीं है। यहां से सिंधिया परिवार का ढाई सौ वर्ष पुराना सम्बंध रहा है। एक समय रहा है इतिहास के कालखंड में जब इस भारत माता की धरती पर विदेशी ताकतें पैर पसार रही थीं, उस जमाने में जब रोहिला अफगान इस क्षेत्र पर अत्याचार करने की मुहिम के साथ निकले थे। मेरे पूर्वज दत्ताजी महाराज सिंधिया ने इस पूरे क्षेत्र में भारत माता की एकता और अखण्ड बनाए रखने के लिए उन रोहिला अफगानों को उखाड़कर फेंकने का काम किया था। ये 1770 की बात कर रहा हूं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि केवल इस मैनपुरी इलाके से ही नहीं एटा, इटावा, बदायूं, नजीमाबाद तक उन रोहिला अफगानों को उखाड़ने के लिए सिंधिया परिवार ने इस माटी से किया था। इसलिए इस माटी के साथ सम्बंध सिंधिया परिवार के दो महालोगों के साथ रहा है। एक माधव महादजी सिंधिया के रुप में और दूसरा मेरे पूज्य पिता माधवराज सिंधिया का है।
उन्होंने कहा कि आज दिल की गहराईयों से मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम (माधवराज सिंधिया की प्रतिमा अनावरण) के लिए समय निकाला।
केन्द्रीय मंत्री ने सपा के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में समाजवादी पार्टी पर बिना नाम लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और योगी के नेतृत्व में उप्र को विकास और प्रगति के रास्ते पर लाने का कार्य किया गया। आज उप्र भारत का वह चमकता हुआ सितारा है जो विश्व पटल पर पैठ और अपनी बुलंद आवाज स्थापित कर रहा है। उप्र में जो गुंडाराज और माफियाराज था उसकी समाप्ति योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुई है।
मंच से ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने योगी, उनके परिवार और धार्मिक घर जो सिंधिया परिवार के साथ सम्बंध का भी उल्लेख किया। नाथ घराना और सिंधिया परिवार के सहयोग और सम्बंध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और राजनाथ सिंह से परिवार के सहयोग व योगदान का वर्णन किया। राजनीति सोच अलग हो सकती है, विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन आपसी सम्मान और सम्बंध और कोई दूसरा नहीं हो सकता है।
उड्डयन मंत्री ने अपने पिता माधवराज सिंधिया को याद करते हुए उनके जीवन के चार लक्ष्यों के संस्मरण मंच से साझा किए। उन्होंने कहा कि पिता से मुझे एक सीख मिली है कि राजनीति कभी भी हमारा मकसद नहीं होना चाहिए, एक लक्ष्य की दूसरों की पूर्ति के लिए राजनीति करनी चाहिए। उनके लक्ष्यों में पहला था कि जो जिम्मेदारी मिले उसे दो सौ प्रतिशत के साथ निभाए, दूसरा बेदाग छवि रखें, तीसरा मनुष्य को हमेशा सम्बंध निभाने चाहिए बिना किसी का नुकसान किए और चौथा जिंदगी जियो तो लोगों के विकास, प्रगति और खुशी के लिए।
केंद्रीय नागर विमानन ने अपना सम्बोधन कविता की पंक्तियां कह कर समाप्त किया।
मौत कोई, मौत नहीं होती।
शरीर मिट जाने से इंसान नहीं मिट जाता।
शरीर मिट जाते हैं पर आत्म नहीं मिटती।।
इस दौरान पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, अनूप प्रधान बाल्मिकी, हरनाथ सिंह यादव, रामनरेश अग्निहोत्री, मानवेन्द्र प्रताप सिंह, अर्चना भदौरिया, प्रदीप सिंह चौहान, संगीता गुप्ता, पूर्व विधायक अशोक सिंह, आलोक गुप्ता, तुलसी सिलावट, गोविन्द सिंह राजपूत आदि समेत मध्यप्रदेश से आए कई नेता और हजारों की भीड़ उपस्थित थी।
साभार -हिस