नई दिल्ली,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिरोशिमा (जापान) में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में दुनिया विशेषकर विकासशील देशों के सामने मौजूद खाद्य सुरक्षा, उर्वरक उपलब्धता और महामारी की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का आह्वान किया कि वह इनके समाधान को प्राथमिकता दें।
अमेरिका के नेतृत्व वाले विकसित देशों के संगठन जी-7 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व के सामने मौजूद संकटों पर केंद्रित छठे सत्र को संबोधित किया। उन्होंने ग्लोबल साउथ (विकासशील और गरीब देशों) के सामने मौजूद समस्याओं का मुख्य रूप से उल्लेख किया तथा कहा कि इन देशों की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने विश्व समस्याओं का सामना करने में अमीर देशों की परोक्ष रूप से आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन और दवाओं की उपलब्धता को मानव भलाई के स्थान पर राजनीति से जोड़ा गया। इस महामारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहायता प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा का भावी स्वरूप क्या हो इस बारे में आत्मचिंतन बहुत जरूरी है।
खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री ने जी-7 सम्मेलन में शामिल लोगों को कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विश्व में एक समावेशी खाद्य प्रणाली का निर्माण होना चाहिए, जिसमें सबसे उपेक्षित तबकों और सीमांत किसानों के हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मोदी ने खाद्य सुरक्षा के साथ ही उर्वरक उपलब्धता की ओर भी सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित कराया। किसी देश का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि उर्वरक संसाधनों पर कब्जा करने वाली विस्तारवादी मानसिकता पर रोक लगानी होगी। विश्व उर्वरक आपूर्ति प्रणाली को मजूबत करना होगा तथा इसमें आ रही रुकावटों को दूर करना होगा। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में खाद्यान और उर्वरक आपूर्ति प्रणाली बाधित हुई है, जिसका सबसे विपरीत असर अफ्रीका और गरीब देशों पर पड़ रहा है।
भारत जैसे विकासशील देशों की विकास यात्रा में आ रही बाधाओं की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि विकास के ऐसे मॉडल की जरूरत है जो विकासशील देशों की प्रगति में बाधक नहीं बने। अंधाधुंध उपभोग पर आधारित विकास मॉडल को बदलकर उसके स्थान पर प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के लोकतांत्रिकरण पर जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी विकास और लोकतंत्र के बीच सेतु बन सकती है। उन्होंने कहा कि आज महिला विकास भारत में चर्चा का विषय नहीं है, क्योंकि आज हम महिलाओं के नेतृत्व में विकास में अग्रणी हैं। भारत की राष्ट्रपति एक महिला हैं जो ट्राइबल क्षेत्र से आती हैं। जमीनी स्तर पर 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। वे हमारी निर्णय लेने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए हमने कानून बनाया है। और आपको जानकर खुशी होगी कि भारत में एक रेलवे स्टेशन ऐसा है जिसे ट्रांसजेंडर लोग ही पूरी तरह चलाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा का भविष्य में क्या स्वरूप हो इस पर आत्मचिंतन आवश्यक है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि रेसिलिएंट (लचीला) हेल्थकेयर सिस्टम की स्थापना हमारी प्राथमिकता हो। समग्र स्वास्थ्य सेवा हमारा मूलमंत्र हो। ट्रेडिशनल मेडिसिन का प्रसार, विस्तार और इसमें संयुक्त अनुसंधान हमारे सहयोग का उद्देश्य हों। एक पृथ्वी – एक स्वास्थ्य हमारा सिद्धांत, और डिजिटल हेल्थ, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज हमारे लक्ष्य होने चाहिए। मानव जाति की सेवा मे अग्रसर डॉक्टर और नर्सेज की मोबिलिटी हमारी प्राथमिकता हो।
उल्लेखनीय है कि जी-7 शिखर वार्ता में सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली के साथ ही यूरोपीय संघ के नेता भाग ले रहे हैं। इसके अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को मेहमान देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लोदोमीर जेलेंस्की भी विशिष्ट अतिथि के रूप में इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं।
साभार -हिस