भोपाल, वैशाख संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार यह संक्रांति अनेक तरह के पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली होती है। पंजाब में मेष संक्रांति को वैशाखी पर्व कहते हैं,जबकि असम में बिहु, केरल में विशु, पश्चिम बंगाल में पोहला बोइशाख कहते हैं।
मेष राशि में सूर्य देव का शुक्रवार दोपहर दो बजकर 58 मिनट पर होगा प्रवेश
वैशाख संक्रांति के विषय में हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि इस साल सन् 2023 ई. को सूर्य देव मेष राशि में 14 अप्रैल शुक्रवार दोपहर दो बजकर 58 मिनट पर प्रवेश करेंगे। वैशाख संक्रांति का पुण्य काल 14 अप्रैल सुबह आठ बजकर 34 मिनट के बाद शुरू होगा। इसलिए 14 अप्रैल सुबह आठ बजकर 34 मिनट के बाद जप, तप, स्नान, दान आदि करना शुभ होगा।
तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान है महास्नान
उन्होंने कहा कि वैशाख संक्रांति के दिन दान का बड़ा महत्व बताया है। इस दिन शुद्ध घी, तिल, सरसों के तेल एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। वैशाख संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान, नदी, सरोवर एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। अगर किसी कारण आप गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हो तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान अवश्य करें, ऐसा करने से गंगा स्नान का पूरा फल मिलता है।
वैशाख संक्रांति का राशि फल :
वृष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन राशि वालों के लिए यह संक्रांति शुभ होगी। बाकी राशि के जातकों के लिए यह संक्रांति अशुभ होगी।
वैशाख संक्रांति का फल :
यह संक्रांति नीच, चोरों, बेईमान एवं दुष्ट लोगों के लिए शुभ होगी। लूटमार की वारदात में वृद्धि होगी। राजनीतिक दलों में आपसी खींचतान बढ़ेगी, राजनीतिक उथल पुथल भी होगी, उत्तरी भारत में फसल को नुकसान हो सकता है, भूकंप होगा, जनता के आक्रोश की भावना अधिक होगी, किसी बड़ी हस्ती की अचानक मृत्यु होगी, सड़क दुर्घटना में कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
संक्रांति के दिन इन बातों का खास ख्याल रखें
संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए। काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए, किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते हैं।
अपनी राशि के हिसाब से करें दान
वैशाख संक्रांति पर सूर्य देव का प्रवेश मेष राशि में होता है और इसका हर राशि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो।
राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा,यहां जानें –
मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े, चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल, पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।
कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल, सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह राशि के लोगों को तांबा, गुड़, गेंहू, गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल, गुड़, सात तरह के अनाज का दान देना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,चावल, कंबल और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी, कंबल, घी और तिल का दान चाहिए।
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल दान देने चाहिए।
साभार -हिस