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अधिकतर प्रतिनिधि एक-दो दिन बाद छोड़ेंगे राजस्थान, पर्यटन स्थलों का करेंगे भ्रमण
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जामडोली के लोग बोले, हर साल हो ऐसा आयोजन
जयपुर, राजस्थान की राजधानी जयपुर के जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ में तीन दिन से चल रहे राष्ट्रीय सेवा भारती के पांच वर्षीय सेवा संगम का रविवार को समापन हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को इस सेवा संगम का उद्घाटन किया था।
तीन दिन के इस महा समागम में राष्ट्रीय सेवा भारती से जुड़े करीब तीन हजार समाजसेवियों ने भारत को समग्र रुप से समृद्ध और स्वावलंबी बनाने का मंथन किया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी प्रतिभागियों को दो दिन संबोधित कर भारत को समृद्ध और स्वावलंबी बनाने का मूल मंत्र दिया।
कुल 2756 प्रतिनिधियों ने किया प्रतिभाग
तीन दिवसीय सेवा संगम में देश भर से लगभग 800 संगठनों के कुल 2756 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। इनमें महिला प्रतिनिधियों की संख्या 515 रही। दूरस्थ राज्य मिजोरम, मेघालय, नागालैंड तथा लद्दाख से भी प्रतिनिधि इस समागम में उपस्थित रहे।
केशव विद्यापीठ के विशाल परिसर में सम्पन्न हुए इस महाआयोजन के लिए सेवा भारती की तरफ से अनूठी तैयारी की गई थी। प्रतिनिधियों के ठहरने और खाने के लिए छह नगर बसाये गये थे। इनमें से एक नगर सिर्फ महिला प्रतिनिधियों के लिए था। व्यवस्था के लिए 820 कुशल प्रबंधकों की एक भारी भरकम टीम तैयार की गई थी, जिसमें 95 महिला प्रबंधक थीं।
अधिकतर प्रतिनिधि एक-दो दिन बाद छोड़ेंगे राजस्थान
कार्यक्रम का आज समापन तो हो गया लेकिन अधिकतर प्रतिभागी एक-दो दिन राजस्थान में रुककर यहां के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करेंगे। सेवा भारती की तरफ से उनके घूमने की व्यवस्था भी की गई है। कार्यक्रम स्थल के बाहर आज सुबह से ही भारी संख्या में बसें और अन्य वाहन इकट्ठा हैं। तमिलनाडु से करीब सवा सौ प्रतिनिधियों के साथ आये एस श्रीनिवासन ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि हम लोग भी दो दिन घूमने के बाद ही वापस जाएंगे।
स्थानीय निवासी बोले, हर साल हो ऐसा आयोजन
कार्यक्रम स्थल जामडोली यद्यपि जयपुर नगर निगम के क्षेत्र में ही आता है, लेकिन राजधानी से करीब 12 किलोमीटर दूर और अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण यह बहुत विकसित इलाका नहीं है। आबादी भी एक लाख से कम ही है। ऐसे में इतना विशाल आयोजन यहां के निवासियों के लिये एक बड़े आकर्षण का केंद्र रहा। पूरा बाजार कई दिनों तक भगवा झंडे से पटा रहा। देश के विभिन्न प्रान्तों, विविध भाषा और पहनावे वाले प्रतिनिधियों को एक साथ भारी समूह में पाकर इस छोटी सी बाजार के निवासी काफी खुश थे।
एक दुकानदार हेमंत शर्मा ने कहा कि हमारा जामडोली लघु भारत का रुप ले लिया है। वहीं राज्य सरकार में सेवारत पास के एक गांव के रहने वाले राजेश शर्मा ने कहा, ‘‘काश ! हर साल यहां ऐसा आयोजन होता।’’ इस पर एक दूसरे स्थानीय निवासी ने कहा कि सही कह रहे हो, कम से कम इसी आयोजन के बहाने यहां साफ-सफाई तो हो गई और बिजली की आपूर्ति भी इन दिनों ठीक है।
सेवा भारती का यह रहा तीसरा पंचवर्षीय समागम
राष्ट्रीय सेवा भारती के सवावलंबी भारत प्रकल्प के प्रमुख विनोद विड़ला ने बताया कि संगठन हर पांचवें वर्ष सेवा संगम का आयोजन करता है। पहला सेवा संगम साल 2010 में बंगलूरु में आयोजित किया गया था। उसमें 980 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। पहले सेवा संगम का ध्येय वाक्य ‘परिवर्तन’ था। ‘समरस भारत, समर्थ भारत’ ध्येय वाक्य के साथ दूसरे सेवा संगम का आयोजन वर्ष 2015 में नई दिल्ली में हुआ था। उस समागम में 2000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। उन्होंने बताया कि तीसरा सेवा संगम जयपुर में ही वर्ष 2020 में प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते उस समय उसे स्थगित कर दिया गया था, जो अब सात से नौ अप्रैल तक सम्पन्न हुआ।
सार्वजनिक ट्रस्ट है राष्ट्रीय सेवा भारती
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सेवा भारती एक सार्वजनिक ट्रस्ट है। इसका पंजीकरण वर्ष 2003 में हुआ था। संगठन का मुख्य उद्देश्य एक छत के नीचे राष्ट्रवादी विचारों के साथ सामाजिक कार्य करने वाली संस्थाओं को संगठित कर उनका पोषण करना तथा उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण, विश्लेषण और कार्यान्वयन में सहायता देना है। स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और अन्य सामाजिक गतिविधियों के लिए यह संस्था अपने 45 प्रतिनिधि संगठनों, और 1200 अन्य संबद्ध ट्रस्टों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से पूरे देश में काम कर रही है।
संस्था से जुड़े एक समाजसेवी ने बताया कि सेवा भारती 43,045 सेवा परियोजनाओं द्वारा समाज को सशक्त, समरस बना एकता के सूत्र में बांधने के लिए प्रयासरत है। इसके द्वारा देश के 117 जिलों में 12,187 स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे हैं। इन स्वयं सहायता समूहों में लगभग 1,20,000 सदस्य हैं। इन समूहों में 2451 समूह स्वावलंबन के कार्यों में सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि संगठन का लक्ष्य हर व्यक्ति तक रोजगार पहुंचाकर उसे आत्मनिर्भर बनाना है।
साभार-हिस