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सिर्फ उत्पादन ही नहीं, आत्मनिर्भरता में डिजाइन, विकास भी शामिल हो : चौधरी
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भारतीय रक्षा उद्योगों को तकनीकी गुणवत्ता के दोहरे मंत्रों को अपनाने की जरूरत
नई दिल्ली, सरकार ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने के लिए पिछले तीन वर्षों के दौरान कई उपाय किए हैं। इस बीच भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भरता केवल उत्पादन तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। इसमें डिजाइन और विकास को भी शामिल करना चाहिए।
एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख चौधरी ने कहा कि अंतरिक्ष को हथियार बनाने की दौड़ पहले ही शुरू हो चुकी है, इसलिए वह दिन दूर नहीं जब हमारा अगला युद्ध भूमि, समुद्र, वायु, साइबर और अंतरिक्ष के सभी क्षेत्रों में फैल जाएगा। मुझे लगता है कि हमारी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए आक्रामक और रक्षात्मक अंतरिक्ष क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है। हमें अंतरिक्ष में अपनी शुरुआती सफलताओं को भुनाने और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है।
चौधरी ने ‘भारत की एयरोस्पेस क्षमताओं और प्रौद्योगिकी आवश्यकता’ विषय पर आयोजित सेमिनार में कहा कि अच्छी तरह से स्थापित रक्षा विनिर्माण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए विकसित तकनीक को बाजार में लाना चाहिए। जब तक सभी हितधारक एक साथ नहीं आते, तब तक ठोस प्रगति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि स्वदेशी अनुसंधान और विकास, प्लेटफॉर्म, सेंसर और हथियारों का उत्पादन भविष्य की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उन्होंने मौजूदा संपत्ति की सुरक्षा के लिए आक्रामक और रक्षात्मक अंतरिक्ष क्षमताओं के निर्माण और निर्देशित ऊर्जा हथियारों को विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दिखाया है कि तकनीकी क्षमता को मुकाबला करने की क्षमता के साथ पूरक होने की आवश्यकता है। इसलिए हमारे रक्षा उद्योगों को भी भविष्य के किसी भी संघर्ष में सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी गुणवत्ता के दोहरे मंत्रों को अपनाने की आवश्यकता है।
साभार -हिस