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अमित शाह ने जम्मू एवं कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

  •  नरेन्द्र मोदी सरकार जम्मू एवं कश्मीर के राज्य बनने की उम्मीदों को पूरी करने के लिए जल्द से जल्द समाज के सभी वर्गों के साथ कार्य करेगीः शाह

  •  कहा-जम्मू एवं कश्मीर में केन्द्रीय कानूनों के क्रियान्वयन में कोई भेदभाव नहीं

  • आर्थिक विकास एवं बेरोजगारी के मुद्दे के समाधान के लिए शीघ्र ही एक औद्योगिक नीति घोषित की जाएगी

  •  आरक्षण मुद्दों पर एक आयोग का शीघ्र गठन किया जाएगा, गुज्जरों समेत किसी भी समुदाय के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा

 

नई दिल्ली– केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में श्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में जम्मू एवं कश्मीर की अपनी पार्टी के 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी कदम उठाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले कुछ महीनों में जमीनी स्तर पर सुस्पष्ट बदलाव दृष्टिगोचर होने लगेगा।

श्री शाह ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा लगभग 40 मुद्दे उठाए जाने के बाद उनसे बातचीत करते हुए जोर देकर कहा कि सरकार का क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने का कोई इरादा नहीं है और ऐसी किसी भी बातचीत का बिल्कुल कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू एवं कश्मीर के राज्य बनने की उम्मीदों को पूरी करने के लिए जल्द से जल्द समाज के सभी वर्गों के साथ कार्य करेगी। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने धारा 370 निरस्त किए जाने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह बात कही थी और यहां तक कि उन्होंने भी 6 अगस्त, 2019 को लोकसभा के अपने भाषण में यही बात कही। गृह मंत्री ने कहा कि यह भारत के हितों के लिए भी अच्छा है, क्योंकि यह क्षेत्र एक सीमावर्ती क्षेत्र है।

प्रतिबंधों को लेकर प्रतिनिधिमंडल की आशंकाओं को दूर करते हुए श्री शाह ने कहा कि रियायतों पर सभी निर्णय जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित हैं और किसी दबाव के कारण नहीं है। उन्होंने निवारक नजरबंदी से लोगों को रिहा किए जाने, इंटरनेट की बहाली करने, कर्फ्यू में ढील देने जैसे कदमों का उल्लेख किया और कहा कि यहां तक कि राजनीतिक कैदी भी आने वाले समय में रिहा कर दिए जाएंगे, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होनी चाहिए, चाहे वह आम कश्मीरी हो या सुरक्षा कर्मचारी। गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू एवं कश्मीर की एक बेहतर अधिवास नीति होगी और कहा कि व्यापक सलाह-मशविरों के बाद शीघ्र ही एक विवेकसम्मत आर्थिक विकास नीति का प्रारुप तैयार किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में केन्द्रीय कानूनों के क्रियान्वयन में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी वर्गों के हितों पर ध्यान दिया जाएगा।

गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि शीघ्र ही त्वरित आर्थिक विकास के लिए एक औद्योगिक नीति घोषित की जाएगी और पहले ही एक लैंड बैंक का सृजन कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जम्मू एवं कश्मीर ने 13,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए और उम्मीद जताई कि 2024 तक क्षेत्र में तीन गुना और अधिक निवेश आएगा, क्योंकि इसके लिए प्रचुर संभावना है और निवेशक भी आगे आने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि यह राज्य में बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान कर देगी।

गृह मंत्री ने कहा कि आरक्षण मुद्दों पर एक आयोग का शीघ्र गठन किया जाएगा और दोहराया कि गुज्जरों, खानाबदोशों और अन्य समुदायों के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। जम्मू एवं कश्मीर बैंक से संबंधित मुद्दों पर उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से इन मुददों पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन में त्रुटियों के मुद्दे का समाधान फास्ट ट्रैक आधार पर किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि वह लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहेंगे, जो सप्ताह में दो बार पीड़ित व्यक्तियों से मिलेगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को निचले स्तर पर भी फीडबैक गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराने को कहा।

श्री शाह ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी पार्टियों और व्यक्ति विशेषों से सुझावों और फीडबैक पाने की इच्छुक है।

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