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आईएनएस विक्रांत जून तक होगा ऑपरेशनल, उड़ान परीक्षण चार महीने में पूरे होंगे

  •  विमानवाहक पोत के लिए भारत खुद जुड़वां इंजन वाले डेक-आधारित लड़ाकू विमान विकसित करेगा

  •  नौसेना फिलहाल 26 राफेल एम लड़ाकू विमान खरीदेगी, मार्च में सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना

नई दिल्ली, आईएनएस विक्रांत के डेक पर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) नेवी और मिग-29 के लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग के बाद विमानवाहक पोत इस साल के मध्य तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा। पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किये जाने के बावजूद यह पूरी तरह से चालू नहीं था, क्योंकि इसकी प्राथमिक हथियार प्रणाली, लड़ाकू जेट विमानों ने विमान वाहक पोत के डेक से अपने विमानन परीक्षणों को पूरा नहीं किया था।
भारतीय नौसेना के पायलटों ने 06 फरवरी को भारत में निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान ‘एलसीए नेवी’ को सफलतापूर्वक लैंड और टेक ऑफ करके ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया। स्वदेश में ही निर्मित लड़ाकू विमान और विमान वाहक जहाज को डिजाइन, विकसित और संचालित करके भारत ने अपनी क्षमता का एक साथ अनूठा प्रदर्शन किया। एलसीए (नौसेना) ने आईएनएस विक्रांत डेक से ऐसे समय में संचालन किया, जब विमानवाहक पोत इस साल पूरी तरह से चालू होने के लिए महत्वपूर्ण उड़ान परीक्षणों के बीच में है।

आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था लेकिन अभी तक यह स्वदेशी पोत पूरी तरह चालू नहीं हुआ है। इसलिए अब पोत पर फाइटर जेट लैंड और टेक ऑफ करने के परीक्षण शुरू किये गए हैं, जो 4 माह तक चलेंगे। आईएनएस विक्रांत पर उड़ान परीक्षणों में रूसी मूल के मिग-29के फाइटर जेट शामिल हैं, जो विमान वाहक पोत से उड़ान भरने के लिए स्की-जंप का उपयोग करते हैं। आईएनएस विक्रांत पर फिलहाल 12 मिग-29के तैनात किए जाने की संभावना है लेकिन इस पोत के लिए भारत खुद स्वदेशी जुड़वां इंजन वाले डेक-आधारित लड़ाकू (टीईडीबीएफ) विकसित करेगा।

नौसेना ने टीईडीबीएफ विमानों के डिजाइन और विकास के लिए एक मसौदा नोट तैयार किया है। नौसेना इस परियोजना पर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और वैमानिकी विकास एजेंसी के साथ काम कर रही है। टीईडीबीएफ का पहला प्रोटोटाइप 2026 के आसपास तैयार होने की संभावना है और इसका उत्पादन 2032 तक शुरू हो सकता है। चूंकि टीईडीबीएफ अभी भी एक दशक दूर है, इसलिए नौसेना विकल्प के तौर पर 26 लड़ाकू विमानों को खरीदने पर विचार कर रही है। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ से संचालित करने के लिए नौसेना ने राफेल एम का चयन किया है। मार्च में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा के दौरान इस डील पर हस्ताक्षर हो सकते हैं।
साभार- हिस

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