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एमएसएमई के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संपार्श्विक-मुक्त ऋण की व्यवस्था
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राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री स्थापित की जाएगी
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जीआईएफटी आईएफएससी में व्यापार गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पहल की जाएंगी
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वित्त क्षेत्र के विनियामकों में सुधार के लिए लोगों से परामर्श किए जाएंगे
नई दिल्ली,केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2023 को संसद में केन्द्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए वित्तीय क्षेत्र के सुधार कार्यों को जारी रखने के प्रस्ताव की घोषणा की। माननीय वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में किए गए हमारे सुधार कार्यों और प्रौद्योगिकी के नवोन्मेषी उपयोग से बड़े पैमाने पर वित्तीय समावेशन हो पाया है और सेवा आपूर्ति बेहतर तथा तीव्र हो गई है, ऋण उपलब्धता तथा वित्तीय बाजारों में भागीदारी सुगम हो गई है।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण गारंटी
पिछले बजट में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना को नवीकृत करने का प्रस्ताव किया गया था। इसमें 9 हजार करोड़ रुपये जोड़कर इस नवीकृत योजना को 01 अप्रैल, 2023 से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इससे अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संपार्श्विक-मुक्त ऋण संभव हो पाएगा, इसके अलावा ऋण की लागत में करीब एक प्रतिशत की कमी आएगी।”
राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री
वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री की स्थापना की भी घोषणा की। वित्तीय सहायक सूचना की केन्द्रीय भंडार के रूप में काम करने के लिए एक राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा, “इसे ऋण का कुशल प्रवाह संभव हो पाएगा”, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि एक नया विधायी ढांचा इस क्रेडिट पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विनियमित करेगा और इसे आरबीआई के साथ परामर्श करके डिजाइन किया जाएगा।
जीआईएफटी आईएफएससी
जीआईएफटी आईएफएससी में व्यापार गतिविधियों को बढ़ाने के लिए बजट 2023-24 में कुछ पहलें की गई हैं जैसे दोहरे विनियमन से बचने के लिए एसीजेड अधिनियम के अंतर्गत आईएफएससीए को शक्तियां प्रदान की जाएंगी, पंजीकरण और विनियामकीय अनुमोदन के लिए एकल खिड़की आईटी प्रणाली की स्थापना, विदेशी बैंकों के आईएफएससीए बैंकिंग इकाइयों द्वारा अधिग्रहण वित्तपोषण की अनुमति देना, व्यापार पुनर्वित्तपोषण के लिए एक्जिम बैंक की एक सहायक संस्था का स्थापना करना, विदेशी वियुत्पन्न दस्तावेजों को वैध संविदाओं के रूप में मान्यता देना।
वित्तीय क्षेत्र का विनियमन
अमृतकाल की आवश्यकताओं को पूरा करने और वित्तीय क्षेत्र में सुधार के लिए यथावश्यक और व्यवहार्य लोक परामर्श को विनियमन निर्माण प्रक्रिया में और सहायक निर्देश जारी करने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अनुपालन को सरल बनाने और इसकी लागत को कम करने के लिए वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों से मौजूदा विनियमों की व्यापक समीक्षा करने का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इसके लिए वे आम लोगों और विनियमित संस्थाओं से प्राप्त सुझावों पर विचार करेंगे। विभिन्न विनियमों के अंतर्गत आवेदनों पर निर्णय लेने की समय-सीमाएं भी निर्धारित की जाएंगी।”