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सरकार के पास लंबित एचएएल के अपग्रेड प्रोग्राम को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद
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150 सुखोई विमानों के अपग्रेड होने के बाद वायु सेना की लड़ाकू क्षमता कई गुना बढ़ेगी
नई दिल्ली, भारतीय वायु सेना को अपने लड़ाकू विमान सुखोई बेड़े को अपग्रेड करने के लिए 4 बिलियन डॉलर की जरूरत है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अपग्रेड प्रोग्राम के लिए पहले से ही प्रस्ताव दे रखा है, जिसे जल्द ही सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। एचएएल नोडल एजेंसी के रूप में लगभग 150 लड़ाकू विमानों को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के अनुकूल ‘सुपर सुखोई’ के रूप में अपग्रेड करेगी, जिसके बाद भारतीय वायु सेना की लड़ाकू क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारतीय वायु सेना मिलकर सुखोई-30 एमकेआई के लिए उपकरण और प्रणालियों को अंतिम रूप दे देंगे, जिसके बाद 150 विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। ‘सुपर सुखोई’ कार्यक्रम की मंजूरी रूस से मिल चुकी है, क्योंकि सुखोई-30 एमकेआई भारत और रूस के संयुक्त उत्पाद हैं। सुखोई को अपग्रेड करने के लिए कई घटक और पुर्जे रूस से आने हैं। ‘सुपर सुखोई में एक आधुनिक कॉकपिट शामिल होगा। अपग्रेड के प्रमुख हिस्से में एवियोनिक्स और सेंसर भी शामिल हैं, जिससे 150 लड़ाकू विमानों को तकनीकी तौर पर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के अनुकूल बनाया जाना है।
एचएएल प्रस्तावित ‘सुपर सुखोई’ कार्यक्रम में उत्तम एमके3 एईएसए फायर कंट्रोल राडार विकसित करेगा। एचएएल 2024 के बाद से सुपर सुखोई कार्यक्रम में शामिल किए जाने वाले कई घटकों का परीक्षण शुरू कर देगा। सुपर सुखोई कार्यक्रम के लिए शुरू किए जाने वाले प्रोटोटाइप में चरणों में नई प्रणालियों को शामिल किया जाएगा और पूर्ण पैमाने पर अपग्रेडेशन 2027-28 से शुरू हो सकता है। वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई को भविष्य के हवाई युद्ध में प्रासंगिक बनाये रखने के लिए अपग्रेड करना इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि इसका सॉफ्टवेयर बहुत तेजी से खराब हो रहा है। वायु सेना को उम्मीद है कि पहला सुपर सुखोई विमान 2025 तक तैयार हो जाएगा।
रूसी सुखोई कंपनी के साथ संयुक्त रूप से विकसित किये जाने वाला ‘सुपर सुखोई’ बहु-भूमिका वाला होगा, जो पड़ोसी देशों और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के आसमान पर हावी हो सकते हैं। इस विमान के पंख कार्बन फाइबर से बने होंगे। आधुनिकीकरण कार्यक्रम में कॉकपिट और सभी प्रणालियों में सुधार किया जाएगा। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि पायलटों के लिए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान में शिफ्ट होना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही ब्रह्मोस एयर-टू-ग्राउंड सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल कार्यक्रम के साथ मिलकर विमान का आधुनिकीकरण होगा। अब भारतीय रक्षा मंत्रालय और रूसी कंपनी साथ मिलकर आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत काम बांटने को अंतिम रूप देंगे, जिसके बाद तय होगा कि कौन सा कार्य भारत में होगा और कौन सा कार्य रूस में।
‘सुपर सुखोई’ में उन्नत स्टील्थ विशेषताएं भी होंगी। सुपर सुखोई अन्य लंबी दूरी की मिसाइलों के इन्फ्रारेड होमिंग विस्तारित रेंज संस्करण से भी लैस हो सकता है। मध्यम दूरी की मिसाइलों के अलावा सक्रिय रडार होमिंग मीडियम रेंज 100 किमी. के साथ-साथ अन्य 80 किमी मध्यम दूरी की मिसाइलों को भी जोड़ा जा सकता है। सुपर सुखोई में इलेक्ट्रॉनिक्स को उन्नत किया जाएगा और सुपर सुखोई में अधिक हथियार भार होंगे। सुपर सुखोई में एफजीएफए जैसा ही इंजन होगा, जो इसके जीवन काल को बढ़ाएगा। सुपर सुखोई कार्यक्रम को भारतीय रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद प्रक्रिया के ऑफसेट नियमों के तहत कवर नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह उन्नयन परियोजना पिछले सुखोई-30 एमकेआई समझौते का ही एक हिस्सा है।
साभार- हिस