नई दिल्ली, चुनाव आयोग ने विधि एवं न्याय मंत्रालय के अनुरोध पर असम के विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन करने का निर्णय लिया है। परिसीमन के लिए 2001 की जनगणना के आंकड़े उपयोग किए जाएंगे।
चुनाव आयोग के निर्णय के बाद अब 1 जनवरी, 2023 से परिसीमन की कवायद पूरी होने तक नई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडेय और अरुण गोयल के नेतृत्व वाले आयोग ने असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे राज्य सरकार से इस बारे में विमर्श करें।
चुनाव आयोग के अनुसार परिसीमन के लिए आयोग स्वयं दिशानिर्देशों और कार्यप्रणाली को डिजाइन और अंतिम रूप देगा। परिसीमन के दौरान आयोग भौतिक सुविधाओं, प्रशासनिक इकाइयों की मौजूदा सीमाओं, संचार की सुविधा, जन सुविधा को ध्यान में रखेगा और जहां तक संभव हो निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक रूप से कॉम्पैक्ट रखा जाएगा।
परिसीमन के प्रारूप को आयोग द्वारा अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे आम जनता से सुझावों व आपत्तियों के लिए केंद्रीय और राज्य राजपत्रों में प्रकाशित किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 8ए के तहत यह निर्णय लिया है। संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत हालिया जनसंख्या आकड़ों का उपयोग होगा। संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
मंत्रालय ने चुनाव आयोग से 15 नवंबर को पत्र लिखकर असम में परिसीमन का अनुरोध किया था।
उल्लेखनीय है कि परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत, असम राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1976 में तत्कालीन परिसीमन आयोग द्वारा 1971 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया गया था।
साभार-हिस