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पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए वनों को आवश्यक बताते हुए कहा कि प्रकृति ने हमें भरपूर उपहार दिए हैं और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील व जिम्मेदार बनना हममें से प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों को वन क्षेत्र को अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मू से बुधवार को राष्ट्रपति भवन में भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनरों ने मुलाकात की। अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि वन पृथ्वी पर सभी के जीवन के लिए जरूरी है। जंगल दुनिया की कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर हैं। लघु वनोपज हमारे देश में 27 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका के सहायक हैं। वनों का उच्च औषधीय महत्व भी है।

उन्होंने कहा कि वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों पर भारत विशेष ध्यान दे रहा है। जनजातीय समुदायों सहित वनवासियों के वनों के साथ सहजीवी संबंध को अब व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है और हमारे विकास विकल्पों में शामिल है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इन समुदायों को जैव-विविधता के संरक्षण और संरक्षण के प्रति उनके अधिकारों व कर्तव्यों के बारे में जागरूक करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जंगल में आग लगने की कई घटनाओं के बारे में सुनते हैं। हमारे सामने न केवल वनों के संरक्षण की, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की भी बड़ी चुनौती है। आज हमारे पास शहरी वानिकी, वन जोखिम शमन, डेटा संचालित वन प्रबंधन और जलवायु-स्मार्ट वन अर्थव्यवस्थाओं की नई प्रौद्योगिकियां और अवधारणाएं हैं। राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत के वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए नवाचार करें और नए तरीके खोजें। यह स्मरण कराया कि उन्हें हमारे वनों को अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए, जिसका नकारात्मक आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए वन आवश्यक हैं। हमें अपने वनों को जीवित और स्वस्थ रखना चाहिए। प्रकृति ने हमें भरपूर उपहार दिए हैं और यह हममें से प्रत्येक का कर्तव्य है कि हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनें। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को पुनर्जीवित प्राकृतिक संसाधनों और स्थायी पारिस्थितिक तंत्र के साथ एक सुंदर देश का उपहार देना होगा।
साभार-हिस

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