उदयपुर, अभी दुनिया की नजर भारत पर है। जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिलने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में देश भारत के विजन को देखना चाहते हैं। यह कहना है जी-20 ऑपरेशन हेड मुक्तेश के परदेसी का।
न्यूजीलैंड और मेक्सिको में भारत के राजदूत रहे परदेसी ने कहा कि जी-20 ऐसे समय हो रहा है जब दुनिया हमारी तरफ देख रही है। उन्होंने कहा कि कोविड के समय न्यूजीलैंड का हॉस्पिटिलिटी सेक्टर बुरी तरह चरमरा गया था। वैक्सीन के लिए दुनिया हमारी तरफ देख रही थी। न्यूजीलैंड में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम नहीं है, राजदूत रहते समय मुझे लोग पूछते थे कि भारत में ये कैसे संभव हो पाता है। ऐसे में जी-20 देशों को भारत से बड़ी उम्मीदें हैं।
उन्होंने कहा कि जी-20 देशों के अलग-अलग ग्रुप की भारत में 200 से ज्यादा बैठकें होंगी। 13 से 16 दिसम्बर को डेवलपमेंट वर्किंग ग्रुप की मीटिंग मुम्बई में और फाइनेंस ग्रुप की बेंगलुरु में 16 से 18 दिसम्बर तक होगी। इसके अलावा राजस्थान ऐसा प्रदेश होगा, जहां तीन बड़े शहरों उदयपुर के बाद जोधपुर व जयपुर में भी इनके अलग-अलग ग्रुप की बैठक होगी।
मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने बताया कि सितम्बर 2023 में भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में जी-20 देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक होगी। इस बैठक से पहले देश के हर राज्य में विभिन्न वर्किंग ग्रुप की बैठकें चलेंगी। इनका मुख्य उद्देश्य देश की नीति के साथ प्रदेश की संस्कृति को भी बढ़ावा देना है।
जी-20 के ऑपरेशन हेड परदेसी ने उदयपुर सुभाष नगर स्थित पासपोर्ट सेवा केन्द्र का दौरा किया। वहां अधिकारियों और कर्मचारियों से मुलाकात कर काम का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि उदयपुर को पासपोर्ट सेवा केन्द्र की सौगात में उनकी भी भूमिका रही थी। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी होती है कि वे यहां के लोगों के लिए कुछ कर पाए।
परदेसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य 2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है। हमारी प्राथमिकता वीमन डेवलपमेंट, डिजिटल वर्किंग और मजबूत इकोनॉमी है।
यूथ को विकास की सीढ़ी में जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वाय-20 और स्टार्टअप-20 दो विजन जी-20 में शामिल हैं। इनके अंतर्गत यूथ को जोड़ना और स्टार्टअप्स पर आपस में चर्चा करके इस क्षेत्र को विकसित करना जी-20 के लक्ष्यों में शामिल है। विभिन्न विश्वविद्यालयों को इसके लिए छात्रों का चयन कर उनसे विभिन्न विषयों पर विजन मांगा गया है। इसमें उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय को भी जोड़ा गया है।
उदयपुर शहर से सिंगापुर तक रेल जुड़ाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर से म्यांमार तक रोड नेटवर्क पर कार्य जारी है, उससे आगे यह अन्य पड़ोसी देशों तक बढ़ सकता है यदि ऐसी सहमति बन जाए लेकिन रेल नेटवर्क फिलहाल चर्चा में नहीं है। जहां तक सिंगापुर तक रेल की बात है तो वह आसियान ग्रुप द्वारा विचार का विषय है, उस मंच तक यह विषय पहुंचाने का प्रयास किया जा सकता है। गौरतलब है कि उदयपुर की उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने उदयपुर से सिंगापुर तक बुलेट ट्रेन का विजन प्रस्तुत किया है।
साभार-हिस