कोलकाता, हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों के बीच शनिवार को कोलकाता पहुंचे बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने कहा कि उनकी सरकार देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
बांग्लादेश की विकास यात्रा को केंद्र कर कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में हसन महमूद ने कहा कि हाल ही में बांग्लादेश में शांतिपूर्वक तरीके से दुर्गा पूजा का त्योहार बीता है जो अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके अधिकारों को संरक्षित रखने की हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय सैनिकों की कुर्बानी के प्रति कृतज्ञता जाहिर करते हुए हसन महमूद ने कहा कि भारत-बांग्लादेश का रिश्ता तीस्ता जल बंटवारे के समझौते पर निर्भर नहीं है बल्कि जन्म-जन्म का और खून का संबंध है।
महमूद ने कहा कि शेख हसीना सरकार बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। देश में हालिया शांतिपूर्ण दुर्गा पूजा उत्सव इसका प्रमाण है। इस साल बांग्लादेश में पिछले साल के मुकाबले अधिक संख्या में दुर्गा पूजा हुई जो शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हुई है।
वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा और हिंदू समुदाय के घरों में तोड़फोड़ व आगजनी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा भड़काने की कोशिश की थी वे बेनकाब हो गए हैं। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं कि ऐसी कोई भी अप्रिय घटना भविष्य में ना हो।
भारत के साथ बांग्लादेश के प्रगाढ़ संबंधों की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि दो देशों की सरकारों के बीच के संबंध दूसरी बात है। भारत और बांग्लादेश के लोगों का लोगों से संबंध सबसे बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश का एक-दूसरे से खून का नाता है जो हमेशा से दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को मजबूत करने में मददगार रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत का दौरा किया था और भारत सरकार के साथ कई समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। हालांकि तीस्ता जल बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी। हसीना के दौरे के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। यह भी दावा है कि भारत-बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल बंटवारा समझौते का विरोध ममता ने किया था जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच इस पर सहमति नहीं बन पाई है।
साभार-हिस