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वायु सेना को फरवरी, 2024 में एचएएल से मिलेगा पहला एलसीए तेजस मार्क-1ए

  •  पिछले साल बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान 83 तेजस विमानों के लिए की गई थी फाइनल डील

  •  पाकिस्तान सीमा के करीब गुजरात के नलिया और राजस्थान के फलौदी एयरबेस में बनेगी स्क्वाड्रन

नई दिल्ली, भारतीय वायु सेना को फरवरी, 2024 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क-1ए मिलेगा। पहले विमान की आपूर्ति के लिए मार्च की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन अब एक माह पूर्व ही डिलीवरी हो जाएगी। पिछले साल बेंगलुरु में एयरो इंडिया के दौरान एचएएल से रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा सौदा करके 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट की डील फाइनल की थी।

एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने बताया कि एलसीए तेजस मार्क-1ए का उत्पादन करने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे पहले से ही उपलब्ध हैं और फ्लाइंग टेस्ट बेड (एफटीबी) से जुड़े परीक्षण सुचारू रूप से चल रहे हैं। इसलिए वायु सेना को पहला विमान अगले साल 24 फरवरी को देने के लिए आश्वस्त हैं। चौथी पीढ़ी के एयरक्राफ्ट एमके-1ए में बेहतर एवियोनिक्स, विस्तारित हथियार पैकेज और समर्पित ईडब्ल्यू सूट के साथ मल्टीरोल लड़ाकू क्षमताएं होंगी। ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना को एलसीए तेजस नई आसमानी लड़ाकू ताकत देगा और भविष्य में युद्ध का रीढ़ साबित होगा।
एचएएल के सीएमडी ने कहा है कि तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और राडार समेत 43 तरह के सुधार किये गए हैं। तेजस एमके-1ए का सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार कर लिया है। इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी। तेजस एमके-1 ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। वायुसेना को 2027 तक पूरे 83 विमान मिल जाएंगे। इनमें 73 लड़ाकू और 10 ट्रेनर विमान होंगे।

एलसीए एमके-1 के 40 विमानों का ऑर्डर पहले ही एचएएल को दिया जा चुका है। इनमें से 18 विमान मिल चुके हैं और वायुसेना की सेवा में हैं। इन सभी 40 विमानों में एलसीए एमके-1ए के मुकाबले 43 तरह के सुधार किये जाने हैं। इनमें हवा से हवा में ईंधन भरने, लंबी दूरी की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल लगाने, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने के लिए सिस्टम लगाया जाना है। इन 40 तेजस एमके-1 और 83 तेजस एमके-1ए को मिलाकर 123 विमानों की 6 स्क्वाड्रन बनाई जानी हैं। वायुसेना ने फिलहाल तेजस के लिए दो स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई हैं। यह दोनों स्क्वाड्रन पाकिस्तान सीमा के करीब गुजरात के नलिया और राजस्थान के फलौदी एयरबेस में हैं।
साभार-हिस

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