नई दिल्ली, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर मां योग योगेश्वरी यति ने कहा कि हमारे गुरुकुल ही हमारी संस्कृति है और वही हमारी धरोहर है। दुनिया की सभी संस्कृतियों का मूल भारतीय संस्कृति है।
हिन्दुस्थान समाचार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के तत्वावधान में आयोजित दीपोत्सव-पंच प्रण में शुक्रवार को दूसरे सत्र में संस्कृति और धरोहर विषय पर व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता मां योग योगेश्वरी यति ने कहा कि भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए प्रयास करना आवश्यक है। हमारी संस्कृति ने पूरे विश्व को प्रगति की राह दिखाई है। एक मां की तरह दुनिया की संस्कृतियों को अंगुली पकड़कर चलाया है। मनुष्यता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि भाषायी दृष्टि से संस्कार ही सांस्कृतिक आधार है। भारतीय संस्कृति ने भौतिक और आध्यात्मिक समादेश की संरचना दी है। भारतीय संस्कृति की धरोहर भी श्रेष्ठ है। भारतीय धरोहर व्यापक और समयानुकूल है। हमारे यह अनेक मनीषी हुए है। किसी भी राष्ट्र की महानता का आधार संस्कृति पर निर्भर करता है। असल में देव संस्कृति ही भारतीय संस्कृति है। आज जरूरत है कि जन-जन तक भारतीय संस्कृति और धरोहर को पहुंचाएं।
मां योग योगेश्वरी ने कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए बल सात्विकता से प्राप्त किया जा सकता है। मानव जाति के विकास का उच्चतम स्तर संस्कृति है। इसमें वसुधैव कुटुम्बकम के सारे सूत्र आ जाते हैं। संस्कृति संत और सुधारक की मनोवृत्ति विकसित करती है। अन्य देशों की संस्कृति नष्ट हो गई, लेकिन भारतीय संस्कृति जीवंत बनी हुई है। भारतीय संस्कृति ने सभी को आत्मसात किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष अरविंद मार्डिकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति निरंतर है। इसके विविध पहलू है।
साभार-हिस