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केसीआर की पार्टी टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस हुआ

  • पृथक तेलंगाना हासिल करने के लिए वर्ष 2001 में हुआ था तेरास का गठन

  • शहर के पार्टी कार्यालयों में जश्न मनाया गया, चौराहों पर लगे नई पार्टी के झंडे

हैदराबाद,पृथक तेलंगाना हासिल करने के लिए वर्ष 2001 में गठित तेलंगाना राष्ट्र समिति (तेरास-टीआरएस) अब तेलंगाना के राजनीतिक पटल से गायब होकर इतिहास में शामिल होने जा रही है। मुख्यमंत्री व पार्टी अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने आज विजयदशमी पर्व पर तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) करने का ऐलान किया है।

तेलंगाना राष्ट्र समिति को राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में बदलने का एक प्रस्ताव पार्टी की आम सभा की बैठक में पेश किया गया। पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने बैठक में उपस्थित सदस्यों को यह प्रस्ताव पढ़कर सुनाया और कहा कि पार्टी संविधान में भी नाम बदलने को लेकर संशोधन किया गया है।प्रस्ताव के अनुसार अब भविष्य में तेलंगाना राष्ट्र समिति को भारत राष्ट्र समिति के नाम से जाना जाएगा।
बैठक में इस प्रस्ताव को सर्व सहमति से स्वीकृति दे दी गई। केसीआर ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करके पार्टी का नाम बदलने का ऐलान किया, जिसका हर्ष उल्लास के साथ स्वागत किया गया। तुरंत बाद कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने पार्टी को अपने शुभकामनाएं दी है। बैठक में जनता दल सेक्युलर की कर्नाटक इकाई के स्थानीय नेता और विधायक भी हैदराबाद पहुंचे।

इस बैठक में पार्टी के सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य, जिला परिषद अध्यक्ष और पार्टी सदस्य आदि कुल 290 सदस्यों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय राजनीतिक दल बीआरएस की आधिकारिक घोषणा के बाद अब अगले सप्ताह नई दिल्ली में केंद्रीय चुनाव आयोग को पार्टी के नए नाम को पंजीकृत करने के सम्बन्ध में पत्र सौंपा जाएगा।
नए राजनीतिक दल की घोषणा के पश्चात शहर के पार्टी कार्यालयों में जश्न मनाया गया। हैदराबाद के कई चौराहों पर नई पार्टी के झंडे लहराते दिखाई दिए। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि भारतीय राष्ट्र समिति का गठन होने के बाद कई राज्यों की राजनीति में बदलाव आएगा। विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में राजनीतिक बदलाव होने की संभावना है ।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि भारतीय राष्ट्र समिति को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए आवश्यक विधायकों और सांसदों की सीटें जीतना मुश्किल नहीं होगा। बीआरएस अपने बलबूते पर ही पड़ोसी राज्यों में चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन स्थानीय राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर वह अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन कर सकती है। नए राष्ट्रीय दल के प्रति लंदन प्रवासी तेलंगाना वासियों ने भी अपना पूर्ण समर्थन जताया है।
साभार-हिस

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