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चुनाव से पहले गुजरात में ‘आप’ को झटका, बीटीपी ने तोड़ा गठबंधन

अहमदाबाद, गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर हर पार्टी रेवड़ी बांट में लगी है। गुजरात में विधानसभा की तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका लगा है। आप के साथ गठबंधन का ऐलान करने के चार माह बाद ही भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने अब गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी है। आदिवासी इलाकों में अच्छा प्रभाव रखने वाली बीटीपी ने ऐसे समय पर इसकी घोषणा की है, जब पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल आज गुजरात में ही हैं।

मंगलवार को बीटीपी नेता छोटूभाई वसावा ने ‘आप’ से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया और यह भी साफ कर दिया कि वह भाजपा के साथ नहीं जा रहे हैं। वसावा ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन जारी रखने से उनके संगठन को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी की छवि खराब हो रही थी और उनकी पार्टी को तोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा करते हुए वसावा ने कहा कि देश में स्थिति बहुत खराब है और हम किसी टोपीवाले से नहीं जुड़ना चाहते हैं, चाहे वह केसरिया हो या झाड़ू निशान के साथ सफेद टोपी। ये सभी एक जैसे हैं। यह देश पगड़ी पहनने वालों का है और आदिवासियों के मुद्दों को सभी दलों ने दरकिनार किया है। वसावा ने आरोप लगाया है कि ‘आप’ ने उनके नेताओं को तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने साफ कहा कि हार हो या जीत, उनकी पार्टी अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने वाली बीटीपी को दो सीटों पर जीत मिली थी। गुजरात और मध्य प्रदेश में भी अपनी मौजूदगी रखने वाली पार्टी का कहना है गुजरात में उसके करीब 5 लाख सक्रिय सदस्य हैं। पार्टी की कई ऐसी सीटों पर अच्छी पकड़ है, जहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या अधिक है। गुजरात की कुल आबादी में आदिवासियों की करीब 14.8 फीसदी हिस्सेदारी है और 27 सीटें अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीटीपी भले ही 2 विधायकों वाली ही पार्टी हो लेकिन ‘आप’ को इसके साथ रहने से काफी फायदा हो सकता था। गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए कई घोषणाएं कर चुकी ‘आप’ आदिवासी इलाकों में प्रचार-प्रसार पर काफी ध्यान दे रही है। अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों आदिवासियों को केंद्र में रखकर कई वादे किए थे।
साभार-हिस

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