नई दिल्ली, केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत विभाजन से प्रभावित लोगों के बारे में सही और सम्यक शोध की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विभाजन एक समय सीमा तक ही प्रभावी नहीं रहा। हम जानते हैं कि 1947 में आजादी के साथ ही दो देश बन गये। हमें यह याद रखने की जरूरत है कि 1940 में विभाजन की जो प्रक्रिया शुरू हुई, उसका दुष्परिणाम हम आज तक झेल रहे हैं। मेघवाल ने शुक्रवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से भारत विभाजन विभीषिका के संदर्भ में दो दिवसीय फिल्म प्रदर्शन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे
मेघवाल ने कहा कि देश विभाजन के समय बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई, बहुतों को अपनी स्थाई सम्पत्ति आदि से हाथ धोना पड़ा, बड़ी संख्या में महिलाओं की उनकी अस्मत पर भी बन आई। उनकी पीढ़ियां आज तक उस विभाजन का दर्द महसूस कर रही हैं। यह अलग बात है कि तब कुछ लोगों ने अपने को शरणार्थी कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और खुद को पुरुषार्थी कहा था। बाद में ऐसे लोगों ने अपने कार्य और प्रगति से इसे साबित भी किया है।
मेघवाल ने कहा कि यह सवाल उठाए जा सकते हैं कि आजादी के 70 साल बाद विभाजन विभीषिका दिवस मनाने का क्या अर्थ है। हमें अपना इतिहास जानना चाहिए और उससे सबक सीखना चाहिए। देश में अलगाववादी ताकतें फिर से वैसी हिम्मत न कर सकें, इसलिए विभाजन के उस इतिहास को याद रखना जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने आयोजन में उपस्थित गायिका और अभिनेत्री सलमा आगा को सम्मानित भी किया।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानन्द जोशी ने विभाजन की वीभिषिका को इतिहास का सबसे बड़ा दर्द बताते हुए कहा कि दुखद है कि आज तक उसे इतिहास ने ठीक से दर्ज नहीं किया। डॉ. जोशी ने इस बात पर संतोष जताया कि युवा पीढ़ी इसे जानना चाहती है। इस मौके पर विभाजन के संदर्भ में बनी फिल्मों को डॉ. जोशी ने उदाहरण बताया। दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन विभाजन के संदर्भ में बनी फिल्मों ‘विभाजन विभीषिका’, ‘असमर्थ’, ‘डेरे तूं दिल्ली’, ‘फेडेड मेमोरीज’ के अलावा फीचर फिल्म ‘पिंजर’ दिखाई गई।
साभार -हिस