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अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहले आधिकारिक दौरे पर तिब्बती आध्यात्मिक गुरु
लेह, 14वें आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा लद्दाख के अपने दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को लेह हवाईअड्डे पर पहुंचे। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा गुरुवार को जम्मू पहुंचे थे। जम्मू में एक दिन रुकने के बाद वह आज सुबह लद्दाख के लिए रवाना हुए। दलाई लामा ने कहा,“भारत और चीन दोनों प्रतिस्पर्धी पड़ोसी हैं, देर-सबेर बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हर समस्या का समाधान करना होगा। सैन्य बल का उपयोग पुराना है।’’
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहले दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आये हैं। 2020 में कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद से धर्मशाला में अपने शिविर के बाहर दलाई लामा का यह पहला आधिकारिक दौरा है। उन्होंने कल जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चीन में अधिकांश लोगों को यह एहसास है कि वह चीन के भीतर स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि तिब्बती बौद्ध संस्कृति की सार्थक स्वायत्तता और संरक्षण चाहते हैं।
दलाई लामा ने कहा, “चीनी लोग नहीं, लेकिन कुछ चीनी कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी मानते हैं। अब अधिक से अधिक चीनी यह महसूस कर रहे हैं कि दलाई लामा स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि चीन के भीतर सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति को संरक्षित करने की मांग कर रहे हैं।’’ एक सवाल के जवाब में दलाई लामा ने यह भी कहा कि अधिक से अधिक चीनी तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं। कुछ चीनी विद्वानों ने महसूस किया है कि तिब्बती बौद्ध धर्म वास्तव में ज्ञान और परंपरा है और एक बहुत ही वैज्ञानिक धर्म है।
साभार -हिस