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मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों को वापस मंदिर बनाएं : हिमांगी सखी

  •  कहा, ऐसी सभी मस्जिदों में विद्यमान हैं अनेक सबूत

झांसी,विश्व की पहली किन्नर महामंडलेश्वर वाह 5 भाषाओं की मर्मज्ञ हिमांगी सखी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए ज्ञानवापी मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जितने भी मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गई सबको तुड़वाकर वापस मंदिर बनवा दिया जाए।

उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद मिले सबूत सभी विवादित स्थलों के लिए पर्याप्त मायने रखते हैं। वह यहां ओरछा धाम के रुद्राणी कला में 16 से 22 मई तक आयोजित होने वाले श्रीराम महोत्सव आयोजन में सम्मिलित होने आई थी। बुधवार को वह झांसी में सहकार भारती के विभाग प्रमुख व संघर्ष सेवा समिति के अध्यक्ष संदीप सरावगी के कार्यालय में पत्रकारों से अपने अनुभव साझा कर रही थी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से ज्ञानवापी में शिवलिंग को छुपाकर उस स्थान को वजू के लिए प्रयोग किया जाता था, वह शर्मनाक है। सनातन संस्कृति किसी के मजहब को ठेस नहीं पहुंचाती। उन्होंने कहा कि ऐसी तमाम उन मस्जिदों की जांच होनी चाहिए जहां मंदिरों को तोड़कर आक्रांताओं ने मस्जिदें बनाई थी। उन्होंने एक सवाल के जबाब में कहा कि ज्ञानवापी में मिले सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि सभी ऐसी मस्जिदों में भी पर्याप्त सबूत आज भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि योगेश्वर श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में बनी मस्जिद की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भला हो वर्तमान सरकार का जिनके समय में यह सब सामने आ सका।

समाज,सरकार व संतों का किया धन्यवाद

सरकार को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि इस समाज मे हमें अपनाया, संत समाज ने अपनाया। इसके लिए हम सभी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम किन्नरों के लिए ऐसे ऐसे द्वार खोले गए हैं कि हम सब दुआएं देते नहीं थकते। उन्होंने कहा कि कलयुग में किन्नरों को देव श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने बताया कि वह किन्नर अखाड़ा से नहीं बल्कि निर्मोही अखाड़े से विश्व की प्रथम किन्नर महामंडलेश्वर हैं। वह देश विदेश में अब तक 5 भाषाओं में श्रीमद्भागवत कथा, श्री राम कथा व देवी भागवत कथा कह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि इस्कॉन से प्रभावित होकर वृंदावन में शिक्षा दीक्षा हुई।
संसार रूपी कीचड़ में कमल बनना चाहिए
उन्होंने किन्नर समेत पूरे मानव समाज को संदेश देते हुए कहा कि यह संसार एक कीचड़ की तरह है। इसमें मानव जन्म मिलने पर हमें उसे सार्थक बनाते हुए भगवान के श्रीचरणों में ध्यान लगाना चाहिए।
साभार-हिस

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