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स्वामित्व योजना से खत्म हो रहे हैं गांव के झगड़े : गिरिराज

नई दिल्ली, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार पीएम स्वामित्व योजना के माध्यम से गांवों के झगड़े सदा के लिए खत्म कराने का प्रयास कर रही है। इस योजना के माध्यम से जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार को खत्म किया जा रहा है।

सिंह ने सोमवार को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में डॉ. चन्द्रशेखर प्राण की पुस्तक “उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत सदस्यनामा” के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नागरिकों को उनके जमीन का मालिकाना हक दिलाने के उद्देश्य से पीएम स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। जो अपने उद्देश्य को सार्थक करने की दिशा में है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के कई राज्यों के गांवों में ड्रोन मैपिंग की शुरुआत कर दी गई है। वर्ष 2024 तक इसे सारे राज्यों में यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। आने वाले दिनों में जब सबके पास सम्पत्ति कार्ड होगा तो जमीन पर होने वाले सभी विवाद खत्म हो जाएंगे।

गिरिराज ने कहा कि डॉ. चन्द्रशेखर प्राण की पुस्तक “उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत सदस्यनामा” में देश के पंचायति व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। सरकार उन सुझाओं पर गौर करेगी और एक सशक्त पंचायत बनाने में यह पुस्तक सहायक साबित होगी।

उन्होंने कहा कि देश के गांव, गरीबी मुक्त हों और रोजगार युक्त हो इस दिशा में काम किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि देश के सभी गांव स्वस्थ हो, पानी पर्याप्त हों, हरे-भरे और स्वच्छ हों, गांव सुरक्षित हों, गांवों में सुशासन हो, गांवों में जेंडर समानता हो इस दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायति व्यवस्था राज्य सरकारों के अधीन है। ऐसे में गांवों के विकास में राज्यों की अहम भूमिका है। गांवों के विकास के लिए केन्द्र,राज्य और पंचायतों को आपसी संवाद मजबूत रखने की जरूरत है।

गांवों को जिलाधिकारियों के चंगुल से मुक्त कराने की है जरूरत : रामबहादुर राय
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गांव का विकास तभी संभव है जब इसे जिलाधिकारियों के चंगुल से मुक्त कराया जाएगा। गांवों को इन अधिकारियों ने कैद कर रखा है। उन्होंने कहा कि जैसे केन्द्र की सरकार है, राज्य की सरकार है वैसे गांव की सरकार भी होनी चाहिए। यह तभी संभव है जब गांव के विकास का फैसला खुद ग्रामीण लेंगे।

राय ने कहा कि जिस तरह से पंचायतों के चुनाव में पैसे खर्च होते हैं वह चिंता का विषय है। इससे पंचायतें कमजोर होंगी। उन्होंने कहा कि हमारे गांव पहले बहुत मजबूत थे और उनका आर्थिक मॉडल बहुत सशक्त था। राय ने महात्मा बुद्ध और महावीर काल की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय में गांव 40 से 50 हजार लोगों को भोजन कराने में समर्थ थे। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध और महावीर जब गांवों की यात्रा पर होते थे तब उनके साथ 40-50 हजार अनुयायी चलते थे। वह जिन गांवों में अपने अनुयायी के साथ ठहरते थे उनके भोजन और रहने का इंतजाम उस गांव के लोग ही करते थे। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे गांव कितने मजबूत थे। लेकिन यह चिंतन का विषय है कि क्या वर्तमान के गांव इतने समर्थ हैं कि वह कुछ लोगों के भोजन की व्यवस्था कर सकें?

वरिष्ठ पत्रकार अरुण तिवारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने पंचायतों को संस्था बनाने की जरूरत है न की व्यक्ति बनाने की जरूरत है। एक सशक्त पंचायत ही देश को मजबूत बना सकती है।
उल्लेखनीय है कि रामचन्द्र राव, पूर्व सांसद डॉक्टर महेश चन्द्र शर्मा ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। इस दौरान देश के कई राज्यों से आए ग्राम प्रधान, अधिकारी लेखक व पत्रकार मौजूद रहे।
साभार-हिस

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