लोकसभा में इस विधेयक को पारित करने के लिए प्रस्तुत करते हुए शाह ने कहा कि यह विधेयक बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 के स्थान पर लाया गया है। सरकार की मंशा इसके पीछे कानून को मजबूत करना है, बंदियों को सजा के बाद सुधारने का प्रयास करना है और कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करना है।
गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक से कानून व्यवस्था और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि विधेयक को लाने का यह बिल्कुल सही अवसर है अन्यथा जरूरी बदलाव में देरी हो जाएगी।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक को स्थाई समिति को भेजने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को 75 वर्षों के लिए सैंपल डाटा इकट्ठा करने का अधिकार मिलेगा। डाटा प्रोटेक्शन अधिनियम के बिना अपराध के मामले में निर्दोष साबित होने पर अपना डाटा हटा नहीं पाएगा । इस कानून के नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता पर भी प्रभाव होगा।
साभार-हिस