नई दिल्ली, दिल्ली हाई कोर्ट ने राजस्थान फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा के खिलाफ किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर लगी रोक 30 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इस मामले पर अंतिम सुनवाई के लिए 30 मार्च की तिथि नियत की है।
कोर्ट ने 12 नवंबर, 2021 को कहा था कि लोकेश शर्मा को कोर्ट के आदेश के बगैर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। दरअसल, लोकेश शर्मा ने याचिका दायर कर मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि उन्हें लगता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 12 नवंबर को लोकेश शर्मा को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया था कि अगर वे पेश नहीं होते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। लोकेश शर्मा ने अपनी तबियत का हवाला देते हुए कहा था कि वे जयपुर से बाहर नहीं जा सकते हैं। इसी नोटिस के मद्देनजर लोकेश शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से हाई कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि जब तक कोर्ट का आदेश है, तब तक वो गिरफ्तार नहीं करेगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 8 अक्टूबर, 2021 को लोकेश शर्मा के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने पर लगी रोक को 13 जनवरी, 2022 तक बढ़ा दिया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। 3 जून, 2021 को हाईकोर्ट ने लोकेश शर्मा को राहत देते हुए अगले आदेश तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था। उसके बाद से दिल्ली पुलिस ने लोकेश शर्मा को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वो जांच में शामिल नहीं हुए।
लोकेश शर्मा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की है। लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले 26 मार्च को फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई थी। गौरतलब है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की बगावत के समय शेखावत का नाम आया था।
साभार-हिस