सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. नागपंचमी का पर्व शुक्रवार 13 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन नाग देवता या सर्पों की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है. इस दिन घर के कोने-कोने में दूध, लाई और भीगे चने छिटका कर नागों का आह्वान किया जाता है. कहीं-कहीं लोग नाग देवता को दूध भी पिलाते हैं.
आज के दिन गांवो में गड्डे-पोखरों में भाई-बहनों द्वारा गुड़िया पीटने की रस्म भी की जाती है. घरों में अनरसे,घेवर और माल पुए बनाए खाए जाते है. कुश्ती के अखाड़े सजाए जाते है और कुश्तियां होती हैं.
नाग पंचमी के दिन नागों की आराधना की जाती है. इस दिन व्रत भी रखते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत को करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है. इस सम्बन्ध में दो कथाएं कुछ यों प्रचलित हैं.
भविष्यपुराण के अनुसार, जब सागर मंथन हुआ तब नागों ने अपनी माता की आज्ञा नहीं मानी थी. इसके चलते नागों को श्राप मिला था. नागों को कहा गया था कि वो राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे. इससे नाग बहुत ज्यादा घबरा गए. इस श्राप से बचने के लिए सभी नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंचें और उन्होंने ब्रह्माजी से सारी बात कही और मदद मांगी. उन्होंने कहा कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे, तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे. यह उपाय ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को बताया था.
जिस दिन महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था, उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी. आस्तिक मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था. इसके बाद आस्तिक मुनि ने कहा था कि जो कोई भी पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा. तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इसके अलावा एक और कथा भी कहीं सुनी जाती है.
एक बार एक किसान था, जिसके दो बेटे और एक बेटी थी. वो सभी एक गांव में रहते थे और बहुत मेहनत कस थे. एक दिन हल जोतते हुए गलती से खेत में रखे नागिन के अंडे कुचल गए और अंडे नष्ट हो गए. इस समय नागिन खेत में नहीं थी. वापस आने पर उसने अपने नष्ट अंडों को देखा और उसने क्रुद्ध होकर उसने बदला लेने की ठान ली. क्रोधित नागिन ने बदले की आग में किसान के दोनों बेटों को डस लिया और उनकी मौत हो गई. दोनों बेटों को डसने के पाद नागिन किसान की बेटी को भी डसना चाहती थी, लेकिन वो घर पर मौजूद नहीं थी, इसलिए वो उसे नहीं डस पाई.
किसान की बेटी को डसने के इरादे से नागिन अगले दिन फिर उसके घर पहुंची. वहां किसान की बेटी ने एक कटोरी दूध नागिन के सामने रख दिया. यह सब देखकर वो बहुत हैरान हुई. उस लड़की ने नागिन से माफी मांगी. किसान की बेटी के क्षमाभाव को देखकर नागिन बेहद खुश हुई और उसके दोनों भाइयों को जीवित कर दिया. उस दिन श्रावण मास शुक्ल की पंचमी तिथि थी. इसी कारण इस दिन नागपंचमी मनाई जाती है.
साभार पी श्रीवास्तव