येरुशलम। फिलीस्तीनियों के साथ अपने देश में भी यहूदी-अरबों के संघर्ष से निकले इजराइल में अब सत्ता परिवर्तन भी तय हो गया है। पिछले 12 साल से राजनीति के केंद्र में रहे बेंजामिन नेतन्याहू को बहुमत नहीं मिला है और अब वे प्रधानमंत्री पद पर बने नहीं रह सकेंगे।
दो साल में चौथी बार हुए इजराइल के चुनाव में रिश्वतखोरी और धांधली के आरोपों के बीच नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। मार्च में हुए इस चुनाव के बाद दूसरे नंबर की पार्टी को अन्य सहयोगियों के साथ सरकार बनाने के लिए कहा गया था। इसके बावजूद उम्मीद की जा रही थी कि नेतन्याहू सरकार बनाने में सफल रहेंगे। ऐसा विपक्षी दलों के बीच सहमति मुमकिन नहीं होने के कारण लग रहा था। प्रधानमंत्री नेतन्याहू को बुधवार 2 जून की मध्यरात्रि तक बहुमत साबित करना था। इस समयसीमा के कुछ ही देर पहले विपक्षी नेता येर लेपिड ने बताया कि आठ विपक्षी दलों के बीच गठबंधन हो गया है और अब वे सरकार बनाने जा रहे हैं।
पता चला है कि विपक्षी गठबंधन में बारी-बारी दो अलग दलों के नेता प्रधानमंत्री बनेंगे। इसके तहत पहले दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नेफटाली बेनेट और फिर उनके बाद मध्यमार्गी येश एटिड पार्टी के येर लेपिड पीएम होंगे। हालांकि इजराइली व्यवस्था के मुताबिक, संसद में वोटिंग के बाद ही नई सरकार शपथ ले सकेगी। येर लेपिड ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन को विपक्षी गठबंधन की सूचना दे दी है। उन्होंने गठबंधन के बहुमत का भी दावा किया है।
इसके साथ ही इसराइली मीडिया भी ऐसे गठबंधन की खबरें चला रहा है। समाचारों के साथ येर लेपिड, नेफ्टाली बेनेट और अरब इस्लामी राम पार्टी के नेता मंसूर अब्बास की वह तस्वीर भी देखी जा रही है, जिसमें तीनों गठबंधन सम्बंधी समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि 71 साल के नेतन्याहू इसराइल में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहे। इस बीच पिछले दो साल में अस्थिर सरकार के कारण इजराइल में चार बार चुनाव कराने पड़े थे। इसबार भी ऐसा कुछ होने पर अस्थिर सरकार की आशंका बढ़ गयी थी। लोगों की नजरें अब नई सरकार के गठन और उसके स्थायी रहने की संभावनाओं पर टिकी रहेगी।
हिंदुस्थान समाचार