नई दिल्ली । सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए चीन से आयात होने वाले कुछ सामानों पर 5 साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की घोषणा की है। लद्दाख के गलवान घाटी की घटना के बाद वोकल फॅार लोकल को बढ़ावा देने के तहत डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडीज (डीजीटीआर) ने चीन से आयात होने वाले स्टील और फाइबर ग्लास मापने के टेप पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी है, जो गुरुवार से लागू हो गई है।
राजस्व विभाग ने एक नोटिफिकेशन के जरिए ये कहा है कि चीन से आयात होने वाले कुछ सामानों पर 5 साल के लिए डेफिनिटिव एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है। सरकार चाहे तो इसे पहले भी हटा सकती है। अधिसूचना के मुताबिक कुछ कंपनियों पर ये एंटी डंपिंग ड्यूटी 1.83 डॉलर प्रति किलो और कुछ पर 2.56 डॉलर प्रति किलो के दर से लगाई गई है, जिसे भारतीय रुपये में देनी होगी।
डीजीटीआर के मुताबिक ऐसा घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को चीन से बचाने के लिए किया गया है। इससे देश में सस्ते चीनी माल की भरमार पर अंकुश लग सकेगा। ये ड्यूटी पहली बार 9 जुलाई, 2015 को 5 साल के लिए लगाई गई थी, अब उसी प्रावधान को अगले 5 साल के लिए फिर से बढ़ा दिया गया है। बता दें कि डीजीटीआर वाणिज्य मंत्रालय का इन्वेस्टिगेशन विंग है।
उल्लेखनीय है कि गलवान घाटी की घटना के बाद चाइनीज माल के बहिष्कार का अभियान देशभर में चल रहा है। सरकार भी कई तरह से चीनी आयात पर नकेल कसने की कोशिश कर रही है। वहीं, चीनी आयात और निवेश के मामले में लगातार सख्ती दिखाई जा रही है। इसी के मद्देनजर डीजीटीआर ने ये कदम उठाया है। ट्रेड रेमिडीज महानिदेशक ने कहा कि चीन वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का फायदा उठाकर भारत में बड़े पैमाने पर लगातार सस्ता और घटिया क्वालिटी का सामान डंप कर रहा है। डंपिंग के कारण इसकी कीमत बहुत कम होती है, जिससे घरेलू बाजार में ये आसानी से पैठ बना सकता है। ऐसे में लोकल मैन्युफैक्चरर्स को बचाने के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया है।
साभार-हिस