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पूर्व तट रेलवे ने की संबलपुर में महत्वपूर्ण रेल परियोजना के क्रियान्वयन में सहयोग की अपील

  •  संबलपुर-तालचेर दोहरीकरण संबलपुर रोड स्टेशन को बंद किये बिना संभव नहीं

  •  ऐसा न करने पर सिटी एवं खेतराजपुर के बीच 1.8 किमी लंबाई तक आवाजाही गंभीर रूप से होगी प्रभावित

  •  परियोजना निष्पादन में निरंतर बाधा से परियोजना के बंद होने का है खतरा

भुवनेश्वर. संबलपुर क्षेत्र में रेलवे ने हाल के वर्षों में विकास संबंधी कई कार्य किये हैं. इनमें झारसुगुड़ा-संबलपुर-टिटिलागढ़ दोहरीकरण, संबलपुर-तालचेर दोहरीकरण, संबलपुर एवं संबलपुर सिटी स्टेशनों का विकास, वैगन पीओएच कारखाना की स्थापना आदि शामिल है.संबलपुर-तालचेर दोहरीकरण परियोजना का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन परियोजना को जमीन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस परियोजना को वर्ष 2016-17 में समाप्त हो जाना था, परंतु इसके पूरा होने में विलंब हो रहा है. नई डबल लाइन की भूमि अधिग्रहण के लिए 96 गांवों से जुड़ी 117.661 एकड़ भूमि की आवश्यकता थी.ज्ञात हो कि इस डबल लाइन का काम संबलपुर रोड स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 1 पर पड़ता है. संबलपुर रोड स्टेशन के बगल की सड़क जीएम कॉलेज एवं स्टेशन की चहारदीवारी के बीच में पड़ती है. दोहरीकरण के साथ ही स्टेशन को भी बचाये रखने के लिए इस सड़क का अतिक्रमण करना होगा. इससे सिटी एवं खेतराजपुर के बीच 1.8 किमी लंबाई तक यातायात अवरुद्ध हो जायेगा. इससे इस सड़क की आवाजाही गंभीर रूप से प्रभावित होगी.इससे यह प्रतीत होता है कि संबलपुर रोड स्टेशन को बंद करने का कोई विकल्प नहीं है. रेलवे को सभी के वृहतर विकास का ध्यान रखना होगा.ध्यान देने योग्य बात है कि संबलपुर मुख्य स्टेशन और संबलपुर रोड स्टेशन के बीच की दूरी मात्र 1.8 किमी है. इससे यात्रियों को इससे कोई समस्या नहीं होगी. सामान्यतः, भारतीय रेल में कहीं भी 1.8 किमी के बीच दो स्टेशन नहीं पाये जाते हैं.ज्ञात हो कि संबलपुर और तालचेर रोड स्टेशनों के बीच कुल 168.21 किमी दोहरीकरण कार्य में से 85.2 किमी सेक्शन पहले ही पूरा हो चुका है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस परियोजना के लिए कुल 173.82 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया है.इस परियोजना को मूलतः वर्ष 2011-12 में 679-11 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ मंजूरी दी गयी है. संबलपुर रोड स्टेशन की यथास्थिति बहाल रखते हुए वैकल्पिक संरेखण के लिए भूमि खोजने के लिए पांच वर्षों तक प्रयास किया गया. इससे इस योजना की लागत भी बढ़कर 1539.28 करोड़ रुपये हो गयी.
यदि इस परियोजना के निष्पादन में इसी प्रकार निरंतर बाधा आती है तो भारतीय रेल इस परियोजना को बंद करने को बाध्य हो जायेगी. इससे इस क्षेत्र का विकास गंभीर रूप से प्रभावित होगा. इसके अलावा दोहरीकरण कार्य सहित ट्रेनों की समग्र गति और दक्षता भी बुरी तरह से प्रभावित होगी. भविष्य में इस लाइन की क्षमता पर भी गंभीर असर पड़ेगा.उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए पूर्व तट रेलवे ने सभी संबंधित लोगों से अपील किया है कि वृहत जन कल्याण को ध्यान में रखते हुए इस कार्य में सहयोग करें. इस बड़ी परियोजना के पूरा हो जाने से भविष्य में काफी लाभ मिलेगा और यात्री ट्रेनों की आवाजाही और सुगम होगी.

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