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सावधान! औडिशा में प्रदूषण ने बजायी खतरे की घंटी, नौ दिसंबर के लिए स्वास्थ्य चेतावनी जारी

भुवनेश्वर. मौसम विभाग ने नौ दिसंबर के लिए राज्य में बुजुर्गों, बच्चों, अस्थमा और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है. बताया गया है कि

ओडिशा में हवा की गुणवत्ता विशेष रूप से भुवनेश्वर, कटक, जगतसिंहपुर, केंद्रापड़ा और बालेश्वर जैसी जगहों पर आने वाले बुधवार (9 दिसंबर) को सबसे खराब स्थिति में होगी.

आईएमडी के हाल ही में लॉन्च किए गए एयर क्वालिटी मॉडल फोरकास्ट सिस्टम के अनुसार, राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर बुधवार, 9 दिसंबर को 200- 500 माइक्रोग्राम/एम 3 की खतरनाक रेंज तक बढ़ जाएगा, जबकि हवा में इसकी सुरक्षित सीमा पीएम 2.5 के लिए 60 माइक्रोग्राम प्रति एम3 पर निर्धारित है. मौसम विभाग के अनुसार, भुवनेश्वर ही नहीं, कटक, जगतसिंहपुर, केंद्रापड़ा, बालेश्वर आदि शहरों में भी हवा की गुणवत्ता बिगड़ने का अनुमान है. इसके अलावा मॉडल का अनुमान है कि पीएम 10 की एकाग्रता भी राज्य में बढ़ेगी. इसकी अनुमानित सीमा 150-300 माइक्रोग्राम प्रति एम-3 के बीच होगी, जब सुरक्षित सीमा 100 माइक्रो ग्राम प्रति एम-3 होती है.

पीएम 2.5 क्या है – पीएम 2.5 वायुमंडलीय कण पदार्थ को संदर्भित करता है, जिसमें 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास होता है, जो मनुष्य के बाल के व्यास का लगभग 3% है. आम तौर पर पीएम 2. 5 के रूप में लिखा जाता है, इस श्रेणी में कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से ही पता लगाया जा सकता है.

पीएम 10 क्या है – पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है. इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं.

पार्टिकुलेट मैटर क्या है – पार्टिकुलेट मैटर ठोस या तरल पदार्थों का वर्णन करता है, जो बहुत छोटे होते हैं और आमतौर पर हवा में पाए जाते हैं. इस स्थिति में उन्हें कण प्रदूषण भी कहा जा सकता है. अधिकांश पार्टिकुलेट मैटर को माइक्रोमीटर में मापा जाता है. सबसे छोटे कण, जिन्हें महीन कण कहा जाता है, 2.5 माइक्रोमीटर या छोटे होते हैं. मोटे कण बड़े होते हैं, जिनकी माप 2.5 माइक्रोमीटर से 10 माइक्रोमीटर होती है.

कैसे पहुंचाता है नुकसान

  • सांस लेने में दिक्कत.
  • आंखें, नाक और गले में जलन होती है.
  • छाती में खिंचाव महसूस होता है.
  • फेफड़े सही से काम नहीं कर पाते हैं.
  • गंभीर श्वसन रोग होने का खतरा बढ़ जाता है.
  • अनियमित दिल की धड़कन का खतरा होता है.
  • स्थिति गंभीर होने पर समय से पहले मृत्यु.

कैसे करें बचाव

  • ऐसे समय में मास्क का प्रयोग निरंतर करना चाहिए.
  • समस्या अधिक दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.
  • प्रदूषण स्तर अधिक हो जाने पर बाहर व्यायाम नहीं करना चाहिए.
  • लकड़ी या थ्रैश को जलाने से बचना चाहिए, क्योंकि ये कण प्रदूषण का मुख्य स्रोत हैं.
  • घर में या बाहर दोनों जगहों पर धूम्रपान नहीं करना चाहिए.
  • वायु प्रदूषण से अपने घर को सुरक्षित करने के लिए वायु शोधक का भी प्रयोग कर सकते हैं.
  • वायु शोधक घर के अंदर वायु प्रदूषण की दर को कम करने में सहायक होगा.
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