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नर्सों की छंटनी का मुद्दा विधानसभा में गूंजा

  • कोरोना काल में सेवा देने वाली नर्सों को काम पर रखने की मांग

प्रतिनिधि, भुवनेश्वर

कोरोना महामारी के समय तीन माह तक काम कराने के पश्चात एएनएम (नर्सों) की छंटनी किये जाने का मामला बुधवार को विधानसभा में उठा. विपक्षी विधायकों ने नर्सों की छंटनी करने की बजाय उनके लिए काम की व्यवस्था करने की मांग की. प्रतिपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि कोरोना के समय इन नर्सों से काम लिया गया. उन्होंने अपने जीवन की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा की. जब डॉक्टर मरीजों को छूने से करने से कतरा रहे थे, इन नर्सों ने अपने जीवन की चिंता किये बिना पीड़ितों की सेवा की. ऐसी स्थिति में उनकी छंटनी किया जाना उचित नहीं है. वह लोग यह कह रही हैं कि उन्हें कम पैसा दे दिया जाये, लेकिन काम पर रखा जाये. इसलिए उनके इस अनुरोध के प्रति राज्य सरकार गंभीरता से विचार करे. उधर, कांग्रेस विधायक संतोष सिंह ने इस मुद्दे को उठाया उन्होंने कहा कि कोविड जब चरम पर था, तब ये मरीजों की सेवा में जुटी थीं. अब जब स्थिति सामान्य हो रही है, तो उनकी छंटनी किया जाना अनुचित है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह स्वास्थ्य मंत्री को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दें.

रक्त भंडार के ठेका कर्मचारियों को पारिश्रमिक दिया जाये
राज्य के रक्त भंडारों में काम करने वाले ठेका कर्मचारियों को लंबे समय से पारिश्रमिक नहीं दिया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. यदि उन्हें पारिश्रमिक नहीं दिया जायेगा, तो उनका परिवार कैसे चलेगा. इसलिए स्वास्थ्य मंत्री इस मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए उनका पारिश्रमिक भुगतान करने की दिशा में आवश्यक कदम उठायें. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विष्णु चरण सेठी ने यह मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य के रक्त भंडारों में कुल 185 ठेका कर्मचारी हैं. लंबे समय से उन्हें पारिश्रमिक नहीं दिया गया है.

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