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पुरी में यमुना स्नान नंद उत्सव जमीन को बचाने के लिए आंदोलन शुरू

  •  महिलाओं ने दिया अनिश्चितकालीन धरना

  •  कहा-सैकड़ों साल की परंपरा को लेकर पुरी जिला प्रशासन कर रहा है खिलवाड़

प्रमोद कुमार पृष्टि, पुरी. मंगला घाट स्थित मंगला नदी व कृष्ण लीला यमुना नदी के नाम से प्रसिद्ध नंद उत्सव स्थल व यमुना दिव्य स्नान स्थल को एक निजी संस्था को बेचने का विरोध शुरू हो गया है. महिलाएं आंदोलन पर उतर आयी हैं. यमुना दिव्य स्नान व नंद उत्सव सुरक्षा समिति ने जिला प्रशासन के जमीन बेचने के निर्णय का कड़ा विरोध किया है. महिला सदस्यों ने अनिश्चितकालीन धरना देना शुरू कर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार, इस जमीन की सुरक्षा के लिए राज्य उच्च न्यायालय में डब्ल्यूपीसीसी नंबर-14054/2020 नंबर में मामला विचाराधीन है.

इसी बीच इस जमीन पर निर्माण कार्य शुरू होते ही महिलाओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि सैकड़ों साल से चली आ रही ऐतिहासिक पारंपारिक, ख़ासकर श्रीमंदिर परंपरा के साथ जुड़ी यह जमीन अगर एक निजी कंपनी, निजी संस्था के हाथों चली जायेगी तो आने वाले दिनों में नंद उत्सव व जमुना नदी में स्थानीय लोगों का दिव्य स्नान कैसे होगा? एक लिखित आवेदन में जिला प्रशासन से गंभीरता से इस जमीन के बारे में सोचने के साथ-साथ इस ऐतिहासिक जमीन को संरक्षित रखने के लिए आग्रह किया गया है. गौरतलब है जमीन को पुरी में गैरकानूनी तरीके से बेचने की परंपरा व दखलदारी जैसी परंपरा शुरू हो चुकी है. बगला धर्मशाला की जमीन को बेचने के खिलाफ वहां पर भी भाजपा, कांग्रेस व वामदलों की तरफ से विभिन्न समय में आंदोलन जारी है. इसी तरह विश्वकवि रवींद्र नाथ टैगोर जी की दी गयी पाथेर पुरी हॉस्टल जमीन पर रास्ते का निर्माण जिला प्रशासन कर रहा था. वर्तमान छात्र व पुराने छात्रों के आंदोलन के सामने सिर झुकाते हुए रास्ते का निर्माण बंद करना पड़ा. आरोप है कि जिला प्रशासन पुरी में पुरानी पंरपराओं और ऐतिहासिक जमीनों के पीछे पड़ गया है.

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