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आजादी के 73 साल बाद मिली गांव को सड़क; कोरोना ना होता, तो शायद यह ना होता…!!!

  • प्रवासी मजदूरों ने किया ग्रामीणों का सपना साकार

राजेश बिभार, संबलपुर

जिंदगियां बर्बाद करने वाले कोरोने के कहर को लोग शुक्रिया भी बोल रहे हैं, क्योंकि 72 साल का सपना इस दौरान साकार हो गया, जिसे प्रशासन भी पूरा नहीं कर पाया था. आपको पढ़कर यह आश्चर्य हुआ ना, लेकिन यह सौ फीसदी सच है. आजादी के 73 साल बाद भी यदि कोई गांव सड़क से वंचित रहा हो तो यह निश्चित तौरपर प्रशासनिक विफलताओं का ज्वलंत उदाहरण है. किन्तु लॉकडाउन की प्रक्रिया ने प्रवासी मजदूरों को घर वापसी पर मजबूर कर दिया. उन्हीं मजदूरों ने अपने गांव के विकास के लिए ऐसा जज्बा दिखाया कि उन्होंने अपने गांव के लोगों के 73 साल के सपने को साकार कर दिखाया. पिछले 73 सालों से आवागमन के लिए सड़क निर्माण की बाट जोह रहे चौदह एकड़ एवं बांदीझरण गांव के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांग अब पूरी हो गई है. उन्होंने प्रवासी मजदूरों के इस जज्बे को सलाम करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया है.

गौरतलब है कि 14 एकड़ एवं बांदीझरण गांव संबलपुर जिला के आदिवासी बहुल जुजुमुरा ब्लॉक के मेघपाल पंचायत में हैं. आजादी के बाद से ही दोनों गांव जिला मुख्यालय से कटा हुआ था. इस दरम्यान गांव के लोगों ने बीडीओ से लेकर डीएम तक से मुलाकात की और अपने गांव में सड़क बनाने की मांग की, किन्तु प्रत्येक बार उन्हें आश्वासन दिया गया. जमीनी स्तर पर सड़क निर्माण की दिशा में आवश्यक पदक्षेप नहीं उठाया गया. गांव के लोगों की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही. जंगल एवं पहाड़ों के बीच स्थित इस गांव में यदि कोई बीमार हो जाता तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था.

बारिश के दिनों में उनकी परेशानी दोगुणी हो जाती. किन्तु प्रशासनिक उदासीनता के कारण वे अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहे गए थे. गांव में अधिकांश गरीब श्रेणी के लोग बसबास करते हैं. कुछ साल पहले मेहनत-मजदूरी के लिए गांव के अनेकों लोगों ने हरियाणा, महाराष्ट, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं झारखंड समेत देश के अन्य प्रदेशों का रूख किया, किन्तु कोरोना संक्रमण एवं लॉकडाउन ने उन्हें घर वापसी पर मजबूर कर दिया. अपने मूलनिवास पहुंचने के बाद भी उन मजदूरों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही थी. परिवार का पालन-पोषण उनके लिए चुनौती बन गया था.

इन हालातों में उन प्रवासी मजदूरों ने गांव में संचालित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना से जुडऩे का फैसला लिया और जुजुमुरा बीआरएस प्रमिता प्रधान एवं मेघपाल पचायत के मुख्य अधिकारी करूणाकर बारिक से मुलाकात की. उन अधिकारियों ने उन प्रवासी मजदूरों की व्यथा को सुना और उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना से जोडक़र जॉब कार्ड प्रदान किया.

इसके बाद उन प्रवासी मजदूरों ने गांव के सड़क बनाने का काम आरंभ किया. रोजाना 202 रुपये की दैनिक मजदूरी पर चौदह एकड़ एवं बांदीझरण गांव को सड़क से जोड़ने के प्रयास का अंब अंतिम चरण पर पहुंचा दिया है. कुछ दिनों बाद ही दोनों गांव को संपर्क जिला के अन्य क्षेत्रों से हो जाएगा. प्रवासी मजदूरों के इस जज्बे को चौदह एकड़ एवं बांदीझरण गांव के लोगों ने सलाम किया है. मेघपाल पंचायत की बीआरएम प्रमिता प्रधान ने भी इसपर खुशी जाहिर करते हुए आनेवाले दिनों में उन प्रवासी मजदूरों को सरकार के प्रत्येक योजनाओं से जोड़ने का आश्वासन दिया है.

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