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पुरी में बगला धर्मशाला बेचने का विरोध शुरू

  • भाजपा विधायक के नेतृत्व में हुआ प्रदर्शन

  • भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र ने जिला प्रशासन को चेताया

  • कहा-धर्मशाला बेचने से दूर रहे, श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था करें

  • बगला धर्मशाला लॉजिंग मालिकों को बेचा गया

  • सन् 1905 हुआ था निर्माण

प्रमोद कुमार पृष्टि, पुरी

पुरी में बगला धर्मशाला बेचने का विरोध शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पुरी विधायक जयंत कुमार षड़ंगी के नेतृत्व में पुरी बगला धर्मशाला के सामने मुख्य रास्ता पर विरोध करते हुए जोरदार धरना प्रदर्शन किया गया. इस दौरान विधायक ने कहा कि भगवान जगन्नाथजी सब जानते हैं, वही विचार करेंगे, क्योंकि यहां पर 50 और ₹100 रुपये में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था थी. कम पैसे में स्थानीय लोगों की शादी-विवाह और जनेऊ संस्कार आदि के आयोजन किये जाते थे. बगला धर्मशाला की जमीन बेचने पर रोक लगाने के लिए समाजसेवी  जगन्नाथ बस्तियां ने ओडिशा उच्च न्यायालय में फिर से मामला दायर किया है. गौरतलब है भगवान महाप्रभु श्री जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए सदियों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुरी पैदल पहुंचते थे. इसके बाद में यातायात की सुविधा होने के उपरांत यह संख्या बढ़ती गई.

इसी बीच में देश की स्वतंत्रता से पहले सन् 1904 उस समय की स्थिति को देखते हुए बाबू कन्हैयालाल बगला ने पुरी शहर के मुख्य रास्ता किनारे बगला धर्मशाला को बनाया. इसके बाद सन 1905 धर्मशाला को पुरी जिला मजिस्ट्रेट व लॉजिंग हाउस फंड कमेटी अध्यक्ष को  सौंप दिये थे. तबसे पुरी पधारने वाले श्रद्धालु भक्त भगवान जगन्नाथ के दर्शन से पहले यहां पर आश्रय लेते थे. न्यूनतम भाड़ा के चलते गरीब से गरीब श्रद्धालु यहां   रहते थे. पुरी धाम के दर्शन के बाद वे घरों को लौटते थे.

सन् 2018 में राज्य सरकार ने कानून को बदलते हुए लॉजिंग हाउस फंड कमेटी को भंग कर दिया. यहां के श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए भारत सरकार के रेल विभाग की तरफ से एक संरक्षित रेल टिकट काउंटर यात्रियों की सुविधा के लिए खोल दिया गया था. इस धर्मशाला का नक्शा बदलने के लिए राज्य व केंद्र सरकार बदलने की कोशिश करते हुए केंद्रीय प्रसाद योजना के तहत इस धर्मशाला की पुनः निर्माण के लिए ₹ 20 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. धर्मशाला की जमीन पर श्रीजगन्नाथ विश्राम स्थली निर्माण के लिए प्रस्ताव को राज्य सरकार के गृह निर्माण पर नगर विकास विभाग से 24 जुलाई 2018 को अनुमोदन मिल गया. इसको श्रीमंदिर प्रशासन ने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान किया.

उसके बाद निर्माण कार्य भारतीय पर्यटन निगम लिमिटेड आईटीडीसी शुरू किया. इस बीच 2019 में श्री मंदिर के चारों तरफ 75 मीटर सुरक्षा जोन बनाने की पहल शुरू हो गयी. राज्य सरकार के निर्देश के बाद श्रीमंदिर के चारों तरफ 500 साल से व उससे अधिक वर्षों पुराने मठ-मंदिरों और निर्मित लॉज समेत करीब 200 घर तोड़ दिया गया. मंदिर के चारों तरफ से रहे विभिन्न मठों में देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले आध्यात्मिक गुरु, साधु, संत के ठहने की व्यवस्था यहां पर की जाती थी.

अब तक जिला प्रशासन की तरफ से श्रद्धालुओं, यात्रियों व पर्यटकों के लिए ठहरने के लिए एक भी यात्री निवास धर्मशाला निर्माण नहीं किया गया है. इसी बीच जिला प्रशासन ने श्रीमंदिर चारों तरफ से हटने वाले मालिकों को बगला धर्मशाला तोड़कर जमीन का बंटवारा करके कुल 26 टुकड़ा प्लॉट तैयार करते हुए 6 को बेच चुका है. अभी आने वाले दिनों में बाकी बेचने का कार्य जारी है. इस कार्य का भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्र ने निंदा करते हुए कहा कि धर्मस्थल में तीर्थयात्री आते हैं. उनके ठहरने की कोई भी व्यवस्था ना करते हुए श्रद्धालुओं के रहने की जगह को बेचना ठीक नहीं है. पुरी जिला प्रशासन फिर से विचार करते हुए इसको तुरंत रोके. राज्य सरकार इस पर रोशनी डालते हुए जिला प्रशासन की मनमानी को रोक लगाए.

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