Home / Odisha / महाप्रभु लिंगराज की शीतल षष्ठी परंपरा पर कोरोना का साया

महाप्रभु लिंगराज की शीतल षष्ठी परंपरा पर कोरोना का साया

  •  रुकुणा रथयात्रा के बाद के इसके लिए भी नहीं मिली अनुमति

  •  कोरोना के प्रकोप को देखते हुए बीएमसी ने अनुमति देने से मना किया

  •  फिर होगी सेवायतों, बीएमसी और पुलिस अधिकारियों की बैठक

भुवनेश्वर. राजधानी स्थित महाप्रभु श्री लिंगराज महाराज की शीतल षष्ठी परंपरा के आयोजन पर भी कोरोना ने पानी फेर दिया है. इसके आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है. बताया जाता है कि भुवनेश्वर नगर निगम ने शीतल षष्ठी के आयोजन के लिए अनुमति देने से मना कर दिया है. शीतल षष्ठी 27 मई को है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी को लेकर समारोह का आयोजन किया जाता रहा है.
सूत्रों ने बताया कि आयोजन को लेकर लिंगराज मंदिर के सेवायतों की कमेटी चार नियोग की आज भुवनेश्वर नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर के साथ बैठक हुई. इस दौरान बीएमसी के अधिकारी ने शीतल षष्ठी के आयोजन की अनुमति नहीं दी. यह जानकारी सूत्रों ने दी है.
इस कारण इस मंदिर के सेवायतों में गुस्सा व्याप्त है. उनका मानना है कि महाप्रभु लिंगराज की सदियों पुरानी इस परंपरा को किसी भी कीमत पर संरक्षित रखी जानी चाहिए. इसके बाद सेवायतों ने पुनः इस संबंध में बीएमसी अधिकारियों और ट्विन सिटी पुलिस आयुक्त से मिलने का फैसला किया है. लिंगराज मंदिर के बाडू नियोग के सचिव कमलाकांत बाडू ने कहा कि हमने इस बात पर चर्चा की है कि भगवान लिंगराज की सदियों पुरानी इस परंपरा को कैसे संरक्षित रखा जाये. साथ ही इस बात पर भी चर्चा हुई कि कम संख्या में लोगों की भागीदारी के साथ इस परंपरा को लेकर आयोजन किया जाये. उन्होंने कहा इसको लेकर हम पुनः बीएमसी के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो हम पुलिस आयुक्त के साथ भी बैठक करेंगे कि कैसे महाप्रभु लिंगराज की सदियों पुरानी शादी की परंपरा को निभाई जाये.
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बीएमसी के डिप्टी कमिश्नर अबनीकांत पटनायक ने कहा कि कोई ठोस निर्णय सेवायतों, बीएमसी और पुलिस अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद ही लिया जा सकता है. अगर इस दौरान अनुमति मिलती है तो भगवान लिंगराज की पालकी निकालेगी, लेकिन कोई भी सार्वजनिक सभा नहीं होगी और कुछ ही सेवायत शोभायात्रा निकालेंगे तथा प्रभु के विवाह के आयोजन को सफल बनायेंगे.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले महाप्रभु की रुकुणा रथयात्रा के लिए भी अनुमति नहीं मिली थी, जिससे यह आयोजन नहीं हो सका था. इसके बाद इसी तरह से पुरी में अक्षय तृतीया से शुरू होने वाली महाप्रभु श्री जगन्नाथ की चंदनयात्रा को मंदिर में आयोजित किया जा रहा है. साथ ही लाकडाउन 4 के नियमों में ढिलाई के बाद केंद्र की अनुमति से महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण शुरू हुआ.

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