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कोरोना को लेकर ओडिशा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

  • केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्टे

भुवनेश्वर. कोरोना को लेकर जारी ओडिशा हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने ओडिशा सरकार से सिर्फ उन्हीं मजदूरों को वापस लाने को कहा था जो जांच में कोरोना नेगेटिव पाए जाएं. हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायलय के इस आदेश पर रोक लगा दी. ओडिशा हाई कोर्ट में नारायण चंद्र जेना नाम के एक व्यक्ति ने पीआईएल दायर की थी.

पीआईएल में मांग की गई थी कि कोविद-19 के मामलों को देखते हुए राज्य में सिर्फ कोरोना निगेटिव को ही प्रवेश दिया जाए. ओडिशा हाईकोर्ट ने इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि जो भी प्रवासी ओडिशा आना चाहते हैं, उन्हें यहां लाने से पहले उनकी कोरोना वायरस की जांच कराएं और जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें यहां लाया जाए. ओडिशा हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय की ओर मामला सुप्रीम कोर्ट में लाया गया.

शुक्रवार की सुबह वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए केन्द्र सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक तरफा सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित कर दिया है. उन्होंने दलील दी कि ओडिशा हाईकोर्ट में केन्द्र सरकार का कोई पक्षकार भी नहीं था. उन्होंने प्रवासी मजदूरों की वापसी पर केन्द्र सरकार के 29 अप्रैल और एक मई के सर्कुलरों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इसमें गृह मंत्रालय ने राज्यों में फंसे प्रवासियों को जाने की इजाजत दी है. उन्होंने कहा कि जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे उन्हें जाने दिया जाएगा और गंतव्य पर पहुंचने के बाद उन्हें स्थानीय क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जायेगा और जांच के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही घर जाने की अनुमति दी जायेगी.

केन्द्र सरकार ने पहले ही प्रोटोकाल तय कर रखा है जिसके मुताबिक जिस भी बस या ट्रेन से मजदूर वापस भेजे जाएंगे, उन्हे पहले संक्रमण मुक्त किया जाएगा. कोरोना के लक्षण पाए जाने पर ही जांच होती है. ओडिशा हाईकोर्ट ने इस प्रोटोकाल पर तथा केन्द्र के पक्ष को सुने बगैर आदेश दे दिया. केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार पहले ही ऐतिहाती उपाय कर रही है. कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद केन्द्र सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी की और हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी.

 

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