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अखिल भारतीय साहित्यि परिषद का स्वदेशी अपनाने पर जोर

  • समापन समारोह में वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण का किया आह्वान

  • अपनी-अपनी भाषाओं के प्रचार प्रसार का किया गया आह्वान

भुवनेश्वर। अखिल भारतीय साहित्यि परिषद, नई दिल्ली की तीन दिवसीय कार्यकर्ता प्रबोध कार्यशाला आज संपन्न हो गयी। समापन समारोह का आयोजन ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित तेरापंथ भवन में हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने उपस्थित सदस्यों से स्वदेशी वस्तुओं, विचारों और भाषाओं को अपनाने का आह्वान किया। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के तहत पौधरोपण, प्लास्टिक का प्रयोग त्यागने तथा जल संरक्षण का आह्वान किया गया। साथ ही वक्ताओं ने सामाजिक परिवर्तन पर नजर रखने तथा इस परिवर्तन के लिए लिखने का भी आह्वान किया गया। साथ ही लोगों के बीच विचार विमर्श स्थापित करने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने साहित्य के जरिए जातीय विघटन को रोकने के लिए प्रेरित किया। साथ ही भारतीय परंपरा, हिंदुत्व की जानकारी, स्व के बारे जानकारी सरल शब्दों में प्रदान करने के साथ-साथ देश में ईसाई, इस्लाम, मार्क्सवादी शक्तियों की गतिविधियों की जानकारियों को हासिल करने के लिए भी सलाह दी गई। इसके साथ ही ग्लोबल मार्केटिंग समझने के लिए कहा गया, क्योंकि ग्लोबल मार्केटिंग समाजिक और धार्मिक परिवर्तन के कारण होते हैं। इस दौरान सबसे बड़ा आह्वान सज्जन शक्ति का जागरण करने को लेकर किया गया। वक्ताओं ने कहा कि समाज में सज्जन व्यक्ति बहुत हैं, लेकिन उनके विचारों को रखने के लिए उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अखिल भारतीय साहित्यिक परिषद के सदस्यों को चाहिए कि वे ऐसे सज्जन शक्तियों का जागरण करें और उनको प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएं, जिससे सशक्त भारत के निर्माण में वे अपना योगदान दे सकें। समापन समारोह में सभी वक्ताओं ने अपनी-अपनी भाषाओं को अपनाने पर जोर दिया था, यह संस्कार बच्चों में प्रेषित करने के लिए कहा। समापन समारोह के अंत में कार्यक्रम के संयोजक प्रकाश बेताला ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस दौरान उपस्थित सभी साहित्यकारों ने प्रकाश बेताला के सफल आयोजन के लिए करतल ध्वनि से आभार जताया। इस दौरान मंच पर परिषद के अध्यक्ष डा सुशील चंद्र द्रिवेदी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर परादकर, राष्ट्रीय महामंत्री ऋषि कुमार मिश्र, सहमहामंत्री पवनपुत्र बादल,  आरएसएस बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, प्रकाश बेताला मंचासीन थे।

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