Home / Odisha / बालेश्वर में जैन मुनियों का भव्य स्वागत

बालेश्वर में जैन मुनियों का भव्य स्वागत

  • संतों का स्वागत त्याग, संयम व सदाचार का स्वागत है- मुनि जिनेश कुमार

बालेश्वर। आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी अपने सहवर्त्ती संत परमानंद जी व मुनि कुणाल कुमार जी के साथ जैन भवन (मोतीगंज) में पधारने पर स्थानीय जैन श्रद्धालुओं ने दूर तक अगवानी कर भावभीना स्वागत किया और मुनि त्रय ने जुलुस के साथ मंगल प्रवेश किया। सभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार ने कहा, भारतीय संस्कृति में संतों का गौरवशाली स्थान है। संतों का स्वागत त्याग, संयम व सदाचार का स्वागत है। गुरुकृपा से हम आप के शहर में आए है। आपने हमारा स्वागत किया। हमारा स्वागत तभी सार्थक होगा जब भगवान महावीर की वाणी सुनकर अपने जीवन को बदलोगे। मुनि ने आगे कहा- भारतीय साहित्य व संस्कृति में संत संगत का विशेष महत्त्व है। संत संगत् से ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप विकास होता है।

और आचार, विचार, संस्कार, व्यवहार शुद्ध होता है। सत्‌ संगत से दिशा दशा बदलती है, भाग्य बदलता है। सत्‌ संगत से सुख मिलता है। ‘जैसी संगत वैसी रंगत के अनुसार व्यक्ति जैसी संगति करता वैसा ही बन जाता है। अच्छी संगति से अच्छा इन्सान बनता है बुरी संगत से शैतान बन ‘बनता है। संतों की संगति से जीवन का निर्माण होता है। जीने की कला आती है। सत्‌संगत से बुद्धि की जड़ता समाप्त होती है। वाणी में सत्य प्रतिष्ठित होता है। यश कीर्ति, उन्नति को प्राप्त होता है। और भवभव के पाप नष्ट हो जाते हैं संतों की संगति का भरपूर लाभ उठाना चाहिए मुनि परमानंद ने कहा- संतों का समागम व हरिकथा दुर्लभ है। संतों की ड्रेस फिक्स होती! एड्रेस फिक्स नहीं होता है संसारी जीवों की ड्रेस फ्रिक्स नहीं होती है एड्रेस फिक्स होता है। संतों की सदैव सेवा करनी चाहिए। मुनि कुणाल कुमार ने मधुर भजन सुनाया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष धीरज धाडेवा, राजकुमार सिंघी, गणेशमल संधी “तेरापंथ महिला मंडल, युवती बहिनें आदि ने अपने भावो की प्रस्तुति दी। संचालन कुसुम सिंघी ने किया

Share this news

About desk

Check Also

उत्कल बिल्डर्स का 15 दिवसीय जलछत्र का उद्घाटन

भीषण गर्मी में पहले दिन लगभग एक हजार लोगों को दही का शर्बत पिलायी गयी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *