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श्रीमंदिर कॉरिडोर परियोजना अनाधिकृत श्रेणी में सूचीबद्ध

  •  बिना अनुमति के 100 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य को लेकर एएसआई ने कई धरोहर स्थलों की सूची तैयार की

  •  उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका से हुआ खुलासा

भुवनेश्वर. पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर की श्रीमंदिर कॉरिडोर परियोजना अनाधिकृत श्रेणी में सूचीबद्ध हो गयी है. बिना अनुमति के धरोहर के 100 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य को लेकर एएसआई ने कई ऐसे स्थलों की सूची तैयार की है, जिसमें श्री जगन्नाथ मंदिर भी शामिल है. इस बात का खुलासा उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका से हुई है. दरअसर पुरी के निवासी दिलीप बराल ने हाल ही में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने आग्रह किया है कि श्रीमंदिर कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में 100 मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण गतिविधियों की अनुमति नहीं देने का निर्देश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिया जाये. अदालत में दायर याचिका के अनुसार, एएसआई ने श्रीमंदिर कॉरिडोर परियोजना को अनधिकृत श्रेणी में सूचीबद्ध किया है. इसमें कहा गया है कि एएसआई ने उन धरोहर स्थलों की सूची तैयार की है, जहां बिना उसकी अनुमति के 100 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य किये जा रहे हैं. भुवनेश्वर सर्कल ने हाल ही में ऐसी साइटों की सूची जारी की है. सूची में पुरी अथरनाला, कोणार्क सूर्य मंदिर, भुवनेश्वर मुक्तेश्वर मंदिर, सारी मंदिर और कटक बारबाटी किला शामिल हैं. श्रीमंदिर कॉरिडोर परियोजना के ऐसी श्रेणी में आने पर भी एएसआई ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. इससे पहले एएसआई ने हाईकोर्ट दाखिल अपने हलफनामे में उल्लेख किया था कि 100 मीटर निषिद्ध क्षेत्र होता है तथा इसके तहत निर्माण कार्य उसकी अनुमति के बिना किया जा रहा है. इसके अलावा, एक आरटीआई के जवाब में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने कहा था कि उसने मंदिर के गलियारे परियोजना के हिस्से के रूप में 100 मीटर निषिद्ध क्षेत्र के अंदर निर्माण कार्य करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं दिया था. इसने मेघनाद की चाहरदीवारी के निर्माण के लिए भी अपनी मंजूरी नहीं दी थी. ऐसे में राज्य सरकार को तुरंत मंदिर के अंदर निर्माण कार्य बंद करना चाहिए. हलफनामे में आगे कहा गया है कि एनएमए एक्ट के तहत मंदिर के 100 मीटर के दायरे में निर्माण गतिविधियां करना गैरकानूनी हैं.

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