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श्री जगन्नाथ मंदिर के पास रात में गुपचुप हुआ जीपीआर सर्वे

  •  राजनीतिक दलों ने कार्य पर उठाये सवाल

  • पूछा क्या छुपाने का हो रहा है प्रयास

पुरी. पुरी स्थित महाप्रभु श्री जगन्नाथ के मंदिर के आसपास कल रात में गुपचुप तरीके से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वे किये जाने से एक बार विवाद को नया रूप मिल गया है. रात में किये सर्वे को लेकर राजनीतिक गरियारे में माहौल गरमा गया है. श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जगन्नाथ मंदिर के आसपास रात के अंधेरे में गुपचुप तरीके से जीपीआर सर्वे की खबरों ने और भी सवाल खड़े कर दिये हैं. विपक्षी दलों ने जमकर निशाना साधा है और पूछा है कि आखिर में रात में सर्वे कराकर क्या छुपाने का प्रयास किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, शनिवार देर रात मंदिर के दक्षिण-पूर्व कोने में काकुड़ीखाई मंदिर से एमार मठ और आसपास के अन्य स्थानों पर कुछ लोगों को मशीनों के साथ निरीक्षण करते हुए देखा गया है. खबर है कि पूछे जाने पर संबंधित व्यक्तियों ने स्पष्ट किया कि वे जियोकार्टे रडार टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी हैं और आईआईटी गांधीनगर की ओर से जीपीआर सर्वेक्षण कर रहे थे.
रात में ही जीपीआर सर्वेक्षण को कहा गया
आरोप उठा है कि ओडिशा ब्रिज एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने आईआईटी गांधीनगर को रात में ही परियोजना स्थल पर जीपीआर सर्वेक्षण करने के लिए कहा था. संस्थान को 4 दिनों के भीतर अध्यन प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है. सूत्रों ने कहा कि मूल्यांकन के दो दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन निरीक्षण के और दो दिनों के बाद अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है.
कॉरिडोर परियोजना विवाद हाईकोर्ट में है विचाराधीन
कॉरिडोर परियोजना विवाद वर्तमान में उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. मामले में पिछली सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट में प्रस्तुत किया था कि ओडिशा सरकार ने परियोजना निर्माण के लिए गहरी खुदाई कार्य करने से पहले मंदिर के चारों ओर जीपीआर सर्वेक्षण नहीं किया था. एएसआई ने गंभीर संदेह जताया था कि सर्वेक्षण के बिना खुदाई कार्य से इस मंदिर के आसपास की समृद्ध विरासत को क्षति पहुंची होगी. उच्च न्यायालय ने मामले के संबंध में सुनवाई की अगली तारीख 20 जून निर्धारित की है.
रात में सर्वे का उद्देश्य?
रात में सर्वे को लेकर उपजे विवाद को लेकर न तो मंदिर प्रशासन ने और न ही एएसआई ने कुछ बताया है. हालांकि, संदेह जताया जा रहा है कि मंदिर के चारों ओर गुप्त तरीके से सर्वेक्षण का एक ही उद्देश्य यह हो सकता है कि अदालत में जल्द से जल्द सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए गुप्त रूप से मंदिर पर जीपीआर रिपोर्ट प्राप्त की जा सके.

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