Home / Odisha / पाप बढ़ने पर नारायण करते हैं ब्राह्मण, गाय, देवता और संतों की रक्षा

पाप बढ़ने पर नारायण करते हैं ब्राह्मण, गाय, देवता और संतों की रक्षा

भुवनेश्वर. जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तो नारायण विभिन्न अवतार लेकर ब्राह्मणों, गायों, देवताओं और संतों की रक्षा करते हैं. उक्त बातें कथाव्यास संत श्री सुखदेवजी महाराज ने कहीं. वह स्थानीय लक्ष्मीसागर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा को बांच रहे थे. कथा का आयोजक भुवनेश्वर केड़िया परिवार की ओर से किया गया था. राजस्थान के बिकानेर जिले से पधारे कथाव्यास संत श्री सुखदेवजी महाराज ने व्यासपीठ से भागवत के विभिन्न प्रसंगों के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा बड़ी ही सरल भाषा तथा सुंदर प्रस्तुति के साथ सुनाई. व्यासपीठ पर उनका स्वागत भुवनेश्वर स्वर्गीय जगदीश केड़िया की पत्नी बिमला केड़िया तथा उनके परिवार ने सदस्यों ने किया. कथा में श्रीकृष्ण के अवतार के रुप में नन्द को आनन्द भयो… की झांकी से साथ स्पष्ट की. कथाव्यास ने बताया कि कुल नौ प्रकार की भक्ति के यथार्थ आदर्श हैं. राजा परीक्षित-श्रवण भाव की भक्ति के आदर्श, शुकदेवजी कीर्तन भाव की भक्ति के आदर्श, प्रह्लादजी स्मरण भाव की भक्ति के आदर्श, श्री लक्ष्मीजी पादसेवन भाव की भक्ति की आदर्श, पृथुजी अर्चनभाव की भक्ति के आदर्श, अक्रुरजी वंदन भाव की भक्ति के आदर्श, हनुमानजी दास्य भाव की भक्ति के आदर्श, अर्जुन सखा भाव की भक्ति के आदर्श और राजा बलि आत्मनिवेदन भाव की भक्ति के आदर्श हैं. व्सासजी ने यह भी बताया कि वेद का अर्थ ज्ञान है. हमारे चारों वेदों के कुल 20,307 ज्ञान मंत्र परमपिता परमेश्वर की विस्तृत जानकारी के मूल मंत्र हैं, जिसके माध्यम से मानव कल्याण होता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सदाचारी जीवन ही सच्चे भक्त की वास्तविक पहचान होती है. ठीक इसीप्रकार कथाव्सास को ही सरल तथा सादगीमय होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे कथा के प्रचार में विश्वास नहीं करते हैं. सच्चे गोभक्त कथाव्यास जिनकी बिकानेर में वृद्ध गोशाला है, जिसमें हजारों अपंग गायें हैं, जिनकी सेवा में वे परमसुख की प्राप्ति करते है. उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण का अवतार सृष्टि को प्रेम का संदेश देने के लिए हुआ. इसलिए श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की झांकी का जी भरकर आनन्द लें. व्यासजी ने बताया कि उनको श्री जगन्नाथ धाम और ओडिशा बहुत पसंद है, क्योंकि श्री जगन्नाथजी कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म हैं. इनके दर्शन मात्र से विश्व मानवता को शांत, मैत्री, एकता तथा भाईचारे का पावन संदेश मिलता है. उन्होंने बताया कि एक भक्त को अवश्य महात्वाकांक्षी होना चाहिए, अपनी भक्ति के प्रति, अपनी सेवा के प्रति तथा श्रीभागवत कथा श्रवण के प्रति. भक्त जीवन में बदलाव का जवाब देते हुए उन्होंने आज के परिपेक्ष्य में जीवन में बदलाव को स्वाभाविक बताया जिसका निदान श्रीमद् भागवत में है.

Share this news

About desk

Check Also

भुवनेश्वर में विस्तारा के एक विमान आपातकालीन लैंडिंग

ओलावृष्टि के कारण विंडशील्ड में दरार आ गई भुवनेश्वर। भुवनेश्‍वर-दिल्‍ली विस्तारा के एक विमान को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *